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इलाज कैसे हो रहा है?

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इलाज कैसे हो रहा है?
भारत में कोरोना वायरस के छह सौ से ज्यादा मरीज इलाज से ठीक हुए हैं। ये छह सौ वे लोग हैं, जिनमें संक्रमण के पुष्टि हुई, जिनका अस्पताल में इलाज हुआ और ठीक हुए। ध्यान रहे कोरोना वायरस के 80 फीसदी से ज्यादा मरीज अपने आप ठीक हो जाते हैं। 15 फीसदी को भी साधारण इलाज की जरूरत पड़ रही है। सिर्फ पांच फीसदी का मामला बिगड़ रहा है और उन्हें वेंटिलेटर, ऑक्सीजन या आईसीयू में ले जाने की जरूरत पड़ रही है। जाहिर है, जो लोग इलाज से ठीक हुए है वे बेहतर इम्युन सिस्टम वाले लोग हैं। उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। ऐसे मरीजों के प्लाज्मा से गंभीर रूप से बीमार मरीजों का इलाज किया जाना है। अमेरिका में इसका क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है और भारत में भी आईसीएमआर ने केरल सरकार को सबसे पहले इस तरह के इलाज के लिए मंजूरी दे दी है। पर सवाल है कि केरल में या भारत में और कहीं पर इससे इलाज कैसे होगा? भारत में अभी इलाज होने में मुश्किल इसलिए है क्योंक किसी भी स्वस्थ हुए व्यक्ति के ब्लड प्लाज्मा में एंटीबॉडी का लेवल क्या है इसे चेक करनी की किट भारत में नहीं है। इसके लिए जर्मनी को ऑर्डर दिया गया है और इसी हफ्ते इसके पहुंचने की खबर थी। जब तक यह किट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो तब तक प्लाज्मा से जांच शुरू नहीं हो पाएगी। दूसरा सवाल यह है कि क्या भारत ने गंभीर मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लरोक्वीन दवा का इस्तेमाल किया है? आईसीएमआर का कहना है कि हाई ब्लडप्रेशर वाले लोगों में इसके इस्तेमाल से दिल का दौरा पड़ने की संभावना है। फिर भी अगर हाइड्रोक्सोक्लरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन या किसी और एंटी बायोटिक के कांबिनेशन से इलाज हो रहा है तो उसके बारे में बताया जाना चाहिए। सरकार चाहे तो यह भी शेयर कर सकती है कि जो छह सौ से ज्यादा मरीज इलाज से ठीक हुए हैं उनके कौन कौन सी दवा का इस्तेमाल किया गया और वह दवा दूसरे मरीजों पर क्यों काम नहीं कर रही है।
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