बताते है भारत इन दिनों विश्व गुरू है। भक्त हिंदूओं ने विश्व में भगवा पताका का झंडा गाढ़ दिया है। कुछ दिन पहले ही अपने अवतारी भगवानश्री के जेएनयू में निर्मित हनुमान एस जयशंकर ने अमेरिका को, पश्चिम को दिन में तारे दिखाए। हमारे वैदिकजी की माने तो भारत ने अमेरिका को झुका दिया! जयशंकर ने राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी जिन पिंग के अंदाज में अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत पहचान में दुनिया को, खासकर पश्चिमी देशों को नसीहत दी कि वे नए भारत (विश्वगुरू) का सत्य गले उतार ले। भारत को न सीखाएं बल्कि दुनिया भारत से सीखे! भारत से सीखे भाईचारा। भारत से सीखे बुलडोजर विकास। भारत से सीखे पानीपत की लड़ाई से राष्ट्र निर्माण। khand khand se akhand ka modal
सचमुच दुनिया में कोई दूसरा देश नहीं है जिसके पास भारत जैसे मॉडल हो। गृहयुद्ध से गृह निमार्ण तो पडौसियों को किस्म-किस्म की गालियों-झगडों से उन्हे अखंड भारत में बाधना! जात, नस्ल, अस्मिता, खजाने को लुटाने की पोपुलिस्ट राजनीति से लेकर संघीय दरारों और पक्ष-विपक्ष की देशभक्त व देशद्रोही राजनीति जैसी शासन प्रवृतियो के मॉडलों को एक साथ अपनाए हुए सचमुच दुनिया का वह वंडर है जिसकी कल्पना बाकि देशों और खासकर विकसित-सभ्य लोकतांत्रिक देशों के नेताओं के लिए संभव ही नहीं।
मैं गांरटी के साथ कह सकता हूं कि हमारे वैदिकजी, मोहनजी की इस विश्वगुरूता को व्हाईट हाउस, व्हाईट हॉल तो क्या संयुक्त राष्ट्र की आम सभा भी नहीं समझ सकती कि- 15 साल में भारत फिर से 'अखंड भारत' बनेगा और ये सब हम अपनी आंखों से देखेंगे!'
वाह! अभूतपूर्व चमत्कारिक भविष्यवाणी! इस अखबार में हमारे वैदिकजी अंखड भारत, आर्यावत भारत के अपने इलहाम को लगातार लिखते रहे है। कुछ महिनों से उन्हे ‘जन-दक्षेश’ और आर्यावत के साझे में खाडी से लेकर थाईलैंड भी दिख रहे है। वे 16 देशों का विशाल संगठन बना रहे है। जन-दक्षेस उसका नाम है। उनका विश्वास है भारत के पास वह है जो किसी और के पास नहीं है। हम खास सांस्कृतिक चुंबक लिए हुए है जिससे भारत धुरी बनेगा। उनका विश्वास अब आस्मा छूता हुआ है क्योंकि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ऐलान किया है कि ज्योतिष के अनुसार 20-25 साल में भारत अखंड भारत होगा। लेकिन सब मिलकर इस दिशा में कार्य करें तो 10-15 साल में अखंड भारत बन जाएगा। भारत लगातार प्रगति पथ पर बढ़ रहा है और जो इसके रास्ते में आएगा वो मिट जाएगा।
सोचे सपने देखते इस नए भारत पऱ। कुछ वैसा ही सपना जैसे राष्ट्रपति शी जिन पिंग 10-15 सालों में दुनिया का केंद्र बिंदु, वापिस मिडिल किंगडम के गौरवमय मंचू इतिहास के साम्राज्य का ख्वाब लिए हुए है तो राष्ट्रपति पुतिन सोवियस संघ के गौरव की बहाली में यूक्रेन में झंडे गाढते हुए है।
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सो ज्योतिष के ग्रह-नक्षत्रों की चाल, अवतारी मॉडल, पोपुलिस्ट मॉडल, नस्लीय मॉडल और पावर मॉडल व सबके परिणामों के खंड-खंड अणु विस्फोट से नई अंखड भारत रचना की गुरूता में हम हिंदु आज जैसे जीते हुए है उसके नतीजे निश्चित तौर पर हम हमारी आंखों के सामने देखेंगे। अपनी फिलहाल इतनी ही चाहना है कि अमेरिका और योरोप के नेताओं को भारत आकर भारत के नेताओं के चरणों में बैठ समझना चाहिए कैसे भारत खंड-खंड समाज रचना उसे अखंड भारत की और ले जाती हुई है या......
रिसर्चर भारत आकर जरूर समझे कि क्या गुरू मंत्र है जो मर्यादा पुरूष राम की नवमी के दिन देश की स्क्रीन पानीपत लड़ाई की अखिल भारतीय झाकियां लिए हुए होने लगी है लेकिन बावजूद इसके ज्योतिष कह रहा है फिर से अंखड भारत बनेगा? तो भारत में आज वह क्या है, क्या शासन, राजनीति कला है, मॉडल है जिससे सबकुछ छिन्न-भिन्न होते हुए भी अखंड का निर्माण! हमारी बुद्धी का जवाब नहीं है! (khand khand se akhand ka modal)
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