बेबाक विचार

जैसे 2021 में ममता, स्टालिन, उद्धव,....

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जैसे 2021 में ममता, स्टालिन, उद्धव,....
तथ्य है सन् 2021 में किसने बंगाल चुनाव से पहले सोचा था कि ममता बनर्जी का नेतृत्व, उनकी राजनीति देश का कौतुक बन जाएगी? पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में स्टालिन की जीत या बिहार में तेजस्वी यादव का उभरना कोई सामान्य बात नहीं है। अपने को आश्चर्य नहीं होगा यदि पांच विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीद अनुसार चुनाव जीत नहीं पाई तो बिहार में नीतिश कुमार आंखे दिखाने लगे। वे भी बतौर विपक्षी नेता राजनीति करने लगे। प्रशांत किशोर के लिए नीतिश कुमार को पटाना और नीतिश-लालू की नई गणित बना बिहार से भाजपा को आउट करके 2024 से पहले हवा बदलने का धमाल बनवाना मुश्किल नहीं है। ऐसे ही महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में विपक्ष की सत्ता पुख्ता हुई है तो इस तरह के परिवर्तनों का इस साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव पर भी असर दिखेगा। निश्चित ही भाजपा का राष्ट्रपति उम्मीदवार जीतेगा लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के बहाने क्षत्रप, नए नेता न केवल अपनी हैसियत दिखाएंगे बल्कि सियासी पारा भी बढाएंगे। lok sabha election 2024 Read also नए नेताओं के उभरने का वक्त! अपना मानना है कि अरविंद केजरीवाल 2024 से पहले मध्यवर्गी-शहरी- बनिया मततादाओं में भाजपा के वोटों में सैंध की रणनीति बनाए हुए है। तभी आप पार्टी पंजाब में भाजपा के हिंदू वोटों में सैंध बनाते हुए है।  उत्तराखंड, गोवा में भी आप पार्टी भाजपा के वोट काटने वाली होगी। आखिर दिल्ली में भी भाजपा का परंपरागत बनिया, पंजाबी, हिंदू वोट आप पार्टी को अधिक शिफ्ट हुआ है। कुल मिलाकर अखिल भारतीय स्तर पर, नरेंद्र मोदी के विकल्प में कोई चेहरा भले अभी क्लिक होता हुआ नहीं है लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि मोदी के शाईनिंग इंडिया और शाईनिग चेहरे के आगे कोई चेहरा न होते हुए भी वैसा ही चमत्कार हो जैसे 2004 में अटलबिहारी वाजपेयी के शाईनिंग चेहरे के आगे अनाम क्षत्रप नेताओं से हुआ था। इसलिए नए नेताओं के उभरने मामला कम दिलचस्प नहीं है।
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