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सोशल और डिजिटल मीडिया का विवाद

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सोशल और डिजिटल मीडिया का विवाद
सोशल और डिजिटल मीडिया का विवाद : इस पर सारी दुनिया के राजनीतिक विश्लेषक एक राय हैं कि नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाने और दूसरी बार ज्यादा बहुमत से चुनवाने में मीडिया और सोशल मीडिया की सबसे बड़ी भूमिका रही है। लेकिन दूसरे कार्यकाल में सोशल और डिजिटल मीडिया के बदलते रुख या स्वतंत्र रुख की वजह से परेशान केंद्र सरकार इन पर लगाम लगाने में जुट गई है। इस प्रयास में सरकार ने खुद को और देश को बड़ी मुश्किल में डाला हुआ है। दुनिया भर में देश की बदनामी हो रही है। सारे देश हैरान परेशान हैं आखिर क्यों भारत सरकार ट्विटर या दूसरी सोशल मीडिया कंपनियों के पीछे पड़ी है और किस वजह से डिजिटल मीडिया को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है। बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर बहस छिड़ी है और भारत सरकार दुनिया से कह रही है कि वह उसे इस मसले पर लेक्चर न दे क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

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सवाल है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में क्या इसी तरह का काम होता है? सरकार ने डिजिटल मीडिया पर नियंत्रण के लिए नया कानून बनाया है, जिसे डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स के एक समूह ने चुनौती दी है। देश के 13 बड़े मीडिया घरानों ने इस कानून को चुनौती दी है। सोचें, इस कानून में प्रावधान किया गया है कि सूचना व प्रसारण मंत्रालय का सचिव जब चाहे तब किसी न्यूज आइटम को पूरी तरह से या उसके कुछ हिस्सों को प्लेटफॉर्म से हटवा सकता है या उस पर रोक लगवा सकता है। इस कानून में निगरानी के लिए एक अंतर मंत्रालयी कमेटी बनाने का प्रावधान है तो साथ ही न्यूज प्लेटफॉर्म को अपने यहां स्वनियामक नियुक्त करने को कहा गया है। सरकार ने मीडिया समूहों को नियंत्रित करने की अपनी जिद में नया कानून बनाया है और ऐसा विवाद खड़ा किया है, जिसका कोई समाधान होता नहीं दिख रहा है।

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सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने 25 फरवरी को नए आईटी कानून बनाए और तीन महीने में इसे लागू करने को कहा। केंद्र सरकार ने 25 मई से इस कानून को लागू कर दिया और इसका पालन नहीं करने वाली कंपनियों को मुश्किल में डाला है। ट्विटर इंडिया का इंटरमीडियरी का दर्जा इस वजह से खत्म हो गया और खत्म होते ही उसके ऊपर गाजियाबाद में मुकदमे दर्ज हो गए। ट्विटर इंडिया के एमडी ने हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत लेकर अपनी जान बचाई है। अब स्थिति यह है कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ट्विटर जैसी कंपनियां देश को भाषण दे रही हैं। सरकार की ओर से भले सफाई में जो कुछ कहा जाए पर देश और दुनिया में यह मैसेज बना है कि भारत सरकार सोशल मीडिया पर आम लोगों का आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। सोशल और डिजिटल मीडिया का विवाद
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