याद कीजिए दिल्ली में यमुना के किनारे श्री श्री रविशंकर के मेगा हिंदू शो को! याद कीजिए रामदेव की कोरोना काल में अपनी दवाइयों की मार्केटिंग और काढ़े आदि की कमाई को! याद कीजिए सन् 2020-21 मेंअंबानी-अडानी की संपदा में बढ़ोतरी के वैश्विक रिकार्ड को! इस सबके बाद जरा सोचें कि जिन रविशंकर ने दिल्ली में यमुना के किनारे को साफ-सुथरा कर अपना विशाल उत्सव मनाया था क्या वे दिल्ली में उसी यमुना के किनारे में हिंदुओं के लिए अस्थायी श्मशान बनाने का वह बंदोबस्त नहीं कर सकते, जिसमें हर हिंदू की लाश, चिता, कपाल-क्रिया धर्मोच्चार, संस्कारों के साथ पंडित करते हुए हों! कोरोना कायदों से संचालित लेकिन हिंदू संस्कारों की प्रतीकात्मक सच्ची व्यवस्था से अंतिम क्रिया कर्म का रविशंकर यदि दिल्ली में जिम्मा लें, रामदेव उत्तराखंड, यूपी का जिम्मा लें तो क्या इनका खजाना खाली हो जाएगा? क्या जग्गी वासुदेव या मोदी काल में चमके तमाम हिंदू ठेकेदार, मठाधीश, महामंडलेश्वर लखनऊ, पटना, मुंबई आदि जहां भी संभव हो, नए अस्थायी श्मशान बनवा कर, लकड़ियों की व्यवस्था करवा कर, क्रिया-कर्म करवाने वाले लोगों का चौबीसों घंटे मैनेजमेंट कर अंतिम सांस गिनते हिंदू जनों में मौत का यह सुकून नहीं बनवा सकते कि मरने के बाद होगी कपाल क्रिया! हिंदू की आत्मामौतके बाद भटकेगी-तड़पेगी नहीं!
पता नहीं नरेंद्र मोदी, अंबानी-अडानी, रामदेव-श्री श्री रविशंकर आदि हिंदू श्मशानों की अव्यवस्था और तस्वीरों को देख रहे हैं या नहीं! संभव है ये सब सोचते होंगे यह हिंदू को बदनाम करने की साजिश है। पर दुनिया और मानवता यह सोचते हुए बुरी तरह दहलीहै कि हिंदू कैसे मर रहे हैं और यह क्या कंपाकंपा देने वाला नजारा है। दुनिया में भारत की महामारी की प्रतीक है श्मशानों की तस्वीरें! यह बात भुक्तभोगी हिंदू परिवार की भी हृद्यविदारक पीड़ा है। जिस भी परिवार पर गुजरी है या गुजर रही है उस परिवार से जा कर कोई पूछे कि उनके लिए अस्पताल अधिक हृदयविदारक था या श्मशान तो वह परिजन की बेमौत मौत में अधिक घायल-दुखी मिलेगा।
श्मशानों में यदि लाइन लगी है, लकड़ियों की कमी है, चिता बनाने से लेकर कपाल क्रिया और फिर अस्थि कलश सब भगवान भरोसे है तो सरकार पर ठीकरा फोड़ते हुए भी बतौर धर्म और समाज, हिंदू मठाधीशों, हिंदू सेठों का क्या यह पाप नहीं है जो वे इतनी भी मानवता, संवेदना, समुदाय भाव लिए हुए नहीं कि महामारी काल में लोगों की अंतिम क्रिया कर्म का ही ठेका लें। उसमें अपनी कमाई का एक-आधा प्रतिशत खर्च करें। लेकिन शायद गुलाम, बुद्धिहीन (तभी संवेदनाहीन भी), भक्त-भयाकुल डीएनए की बुनावट का रोना है जो महामारी के इस काल में न महामारी की विभीषिका को लोग समझने कोतैयार हैं और न यह सोचने की क्षमता लिए हुए हैं कि इंसान की अंतिम यात्रा यदि इंसानियत से नहीं हुई तो वह मानव समाज का होना तो नहीं है।
Tags :Baba Ramdev बाबा रामदेव crematorium महामारी Coronavirus Covid-19 Corona cases epidemic कोरोना वायरस अपडेट coronavirus wave speede faster covid 19 update भारत में कोरोना के मामले कोरोना की दूसरी लहर तीन गुनी coronavirus updates 2nd wave speed coronavirus highest number corona cases world highest number of corona cases Ramdev