महाराष्ट्र में शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट को अपने को हिंदुओं का सच्चा शिवाजी भक्त साबित करना हैं। शिव सेना अयोध्या में राम मंदिर के असली निर्माता होने का प्रोपेगेंडा बना सकते हैं। आखिर उद्धव ठाकरे और उनकी पार्टी के नेता खुल कर इस बात का श्रेय लेते हैं कि 1992 में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराने में शिव सैनिकों ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी।
इसलिए जनवरी 2024 में जब भव्य राममंदिर का उद्घाटन होगा तो उसमें उनकी स्वाभाविक हिस्सेदारी रहेगी। हालांकि यह बात कांग्रेस और एनसीपी को असहज कर सकती है।
धर्म की राजनीति में सबसे ज्यादा दिक्कत उत्तर भारत के राज्यों की पार्टियों को होगी। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यू और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को मुश्किल होगी। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा आदि राज्यों में कांग्रेस को मुश्किल होगी। उत्तर भारत में धर्म की राजनीति पूरी तरह से पक गई है और भाजपा इसकी फसल काट रही है। हालांकि बिहार और उत्तर प्रदेश की दोनों बड़ी प्रादेशिक पार्टियों के पास अपनी जाति और मुस्लिम का एक बड़ा वोट बैंक है। दोनों 30-30 फीसदी वोट से अपनी राजनीति शुरू करते हैं। पर उनको इसमें नया वोट जोड़ने की चुनौती झेलनी होगी। विधानसभा चुनाव में यह वोट उनको बड़ी मदद कर सकता है लेकिन लोकसभा में नरेंद्र मोदी के सामने उनको धर्म की राजनीति का जवाब देना मुश्किल होगा।