बेबाक विचार

झूठ का वायरस सबसे खतरनाक

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झूठ का वायरस सबसे खतरनाक
2021 में भारत को किसने ज्यादा मारा? कोरोना ने या झूठ के वायरस ने? निःसंदेह कोरोना की वजह से लाखों लोगों की जान गई है, करोड़ों लोग संक्रमित हुए। अस्पताल में भी नरक की पीड़ा। करोड़ों लोग कंगाल हो गए और नौकरी, रोजगार, कमाई गंवा कर भिखारियों की स्थिति में पहुंचे हैं। कोरोना वायरस की यह मार इतनी भयावह नहीं होती, यदि झूठ का वायरस देश में नहीं फैला होता। सोचें, कदम कदम पर कितनी तरह के झूठ बोले गए। महामारी के आंकड़ों से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की अर्थव्यवस्था के कैसे कैसे झूठ फैलाए गए? ऐसे झूठ, जिनकी सभ्य समाज में कल्पना नहीं की जा सकती। कोराना वायरस के डेल्टा वैरिएंट से आई दूसरी लहर ने मार्च के अंत से लेकर मई के अंत तक पूरे देश में कहर बरपाया। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक एक दिन में चार लाख से ज्यादा केस आ रहे थे और चार हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो रही थी। इन आंकड़ों से ज्यादा भयावह वास्तविक तस्वीर थी, जो सड़कों पर, अस्पतालों के बाहर दिख रही थी। लोग बड़े और नामी अस्पतालों में ऑक्सीजन के बगैर तड़प कर मर रहे थे। मरीजों के परिजन दवा, इंजेक्शन, वैक्सीन के लिए इधर-उधर भटक रहे थे और अपनी जमा पूंजी गंवा रहे थे। आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना नामुमिकन सा काम हो गया था। लेकिन एक-एक करके देश की लगभग हर राज्य सरकार और खुद केंद्र सरकार ने कह दिया कि ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई। संसद में केंद्र सरकार ने यह बात कही और उसके बाद लगभग सभी राज्यों ने लिखित में यह बात कही है। सोचें, आंखों के सामने हुईं हजारों मौतें झूठी हो गईं! सरकारें खुलआम झूठ बोल रही हैं और वो लोग भी मुंह सिल कर बैठे हैं, जिनके परिजन ऑक्सीजन, टेस्ट या दवा की कमी से मर गए। दूसरी लहर शुरू होने से पहले ही प्रधानमंत्री ने दुनिया के नेताओं के सामने दावा किया था कि भारत ने कोरोना पर विजय प्राप्त कर ली। उन्होंने दावोस के विश्व आर्थिक मंच की बैठक को वर्चुअल तरीके से संबोधित करते हुए कहा था कि दुनिया के विशेषज्ञों ने भारत को लेकर कैसी कैसी भविष्यवाणी की थी, कितने लोगों की मौत का अनुमान लगाया था लेकिन भारत ने सारी भविष्यवाणियों को गलत साबित कर दिया। उस समय तक भारत में वैक्सीनेशन की प्रक्रिया बहुत सीमित स्तर पर बस शुरू ही हुई थी। सारी दुनिया के विशेषज्ञ कोरोना के लौटने का अनुमान जता चुके थे। लेकिन भारत में कोरोना के खिलाफ जीत का ऐलान हुआ और वैक्सीनेशन से लेकर हर चीज में लापरवाही शुरू हुई। झूठ के इस वायरस का नतीजा यह हुआ कि भारत कोरोना वायरस से लड़ने को तैयार ही नहीं हुआ और मार्च से मई तक भारत में तबाही का समय गुजरा। झूठ के वायरस ने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को भारी खतरे में डाला है। चीन की सेना अप्रैल 2020 से भारत की सीमा में घुस कर बैठी थी और जून में हालात इतने बिगड़ गए कि 45 साल के बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए। उसके बाद चौतरफा दबाव में आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई और कहा कि न कोई घुसा है और न कोई घुस आया है। सरकार आज तक इस पर कायम रही। पूरा 2021 का साल इसी झूठ में गुजरा है कि कोई नहीं आया है। लेकिन हकीकत यह है कि पूर्वी लद्दाख के कम से कम तीन बिंदुओं पर चीन भारत की सीमा में घुस कर बैठा है और उसने अरुणाचल प्रदेश के आसपास अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। डोकलाम में भी वह भारत की गर्दन दबाता हुआ है। सिक्किम से लेकर अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड से लेकर मणिपुर तक चीन ने भारत को संकट में डाला हुआ है।
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