योगी आदित्यनाथ की पहचान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ साथ सनातनी हिंदू संत की भी है। वे गोरखनाथ पीठ के महंत हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद भी महंती छोड़ी नहीं। उनको इसका फायदा पता है। सनातन हिंदू धर्म और उसके बाद भारत में फैले बौद्ध धर्म दोनों का समन्वय नाथ पंथ में दिखता है और इसका विस्तार भारत की पूरी सीमा में है और भारत से बाहर नेपाल, बांग्लादेश और यहां तक कि पाकिस्तान में भी है। भारतीय जनता पार्टी को भी नाथ पंथ के सबसे बड़े मठ के महंत को मुख्यमंत्री बनाने का फायदा मालूम था। तभी पिछले चार साल योगी आदित्यनाथ का जम कर इस्तेमाल किया गया। देश के किसी भी राज्य में चुनाव हो वहां योगी को प्रचार के लिए जरूर भेजा गया। दक्षिण भारत के राज्यों केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी नाथ पंथ को मानने वाले शैव लोग हैं, जिनके बीच गोरखनाथ पीठ का खासा सम्मान है। तभी योगी को इन राज्यों के प्रचार में भी भेजा गया। उत्तर प्रदेश में भी भगवा पहनने वाले एक योगी को मुख्यमंत्री बनाने के पीछे भी यहीं सोच थी कि हिंदुत्व के रक्षक के रूप में एक ऐसा नेता तैयार किया जाए, जिसके ईर्द-गिर्द व्यापक हिंदू समाज को इकट्ठा किया जा सके।
योगी की हिंदू पहचान सनातनी
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