बधाई अपने डॉ. वेदप्रताप वैदिक को। उनके आह्वान को उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरा किया। दो दिन पहले उन्होंने इसी ‘नया इंडिया’ में लिखा था–विकास दुबे को जिंदा पकड़ा जाए...उसे मौत की सजा मिले। ...सजा ऐसी हो कि उसके-जैसे गुंडों के लिए वह हड्डियां कंपानेवाली मिसाल बन जाए। ऐसे अपराधी को कानपुर के सबसे व्यस्त चौराहे पर लटकाया जाए और उसकी लाश को कुत्तों से घसीटवाकर जानवरों के खाने के लिए फेंक दी जाए। इस सारे दृश्य का टीवी चैनलों पर जीवंत प्रसारण हो। और संभव है आज डॉ. वैदिक प्रसन्न-गदगद हो लिखें कि जो हुआ है उसके लिए योगीजी को सलाम! वैदिकजी इन दिनों अक्सर लिखते हैं कि अपराधियों को सजा ऐसी मिले कि हड्डियां कांपने लगें! अब ‘नया इंडिया’ याकि मैं विचार स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आजादी में विश्वास रखता हूं तो वैदिकजी का यह विचार छपेगा ही कि लाश चौराहे पर लटकाई जाए। बावजूद इसके उन्हें पढ़ते हुए मैं सोचता हूं कि वैदिकजी जैसे बुजर्ग-बुद्धिमना यदि इस सीमा पर जा कर सोचते हैं तो कानून-संविधान की अपनी आधुनिक मौजूदा व्यवस्था को लेकर उनके दिल-दिमाग में कैसा मोहभंग है और वे मानव सभ्यता के आधुनिक पड़ाव में भी क्या राय बना बैठे हैं, जो वे जंगल राज के तौर-तरीकों के हिमायती हैं!
ऐसी मनोदशा भारत के 138 करोड़ लोगों में से कितने करोड़ नागरिकों में होगी इसका अनुमान इसलिए लग सकता है क्योंकि जिन समस्याओं में भारत फंसा है उसमें धारणा बनना स्वभाविक है कि लोकतंत्र फेल है, संसद-कानून-अदालत की बजाय डंडाशाही-तानाशाही ज्यादा प्रभावी है। 73 साल के नरम लोकतंत्र से मुसलमान सिर पर बैठे। पाकिस्तान-चीन डरा नहीं और भ्रष्ट नेता-पार्टियों ने मनचाहा लूटा व अपराधियों की बन आई। मतलब कानून का राज फेल है तो जंगल का राज भारत का निदान है। भारत को आदिवासी कबीले में बदलना चाहिए, जिसमें कोई चोरी-हत्या-अपराध करे तो उसे पकड़ तुरत कबीलाई राजा कोड़े मारे या भाले से मार करलाश जानवर के आगे डाल दे।
‘सजा ऐसी दें कि हड्डियां कांपने लगें’ वाला सिस्टम या तो इस्लाम के शरिया राज में बनता है या आदिम जंगल राज को जिंदा करना है। मतलब हम हिंदू औरंगजेब, सऊदी अरब और बगदादी के इस्लामी स्टेट के सिस्टम को अपनाएं या अफ्रीका के रवांडा, सियरा-लियोन, दक्षिणी सूडान व नाइजीरिया के कबिलाई इलाकों के जंगल राज को अपनाएं। औरंगजेब, सऊदी अरब, इस्लामी स्टेट या रवांडा, दक्षिणी सूडान के कबीले संविधान, कानून-अदालत को नहीं मानने वाले थे या नहीं मानते हैं। यदि लालकिले में बैठे औरंगजेब के राज में चांदनी चौक के कोतवाल या इस्लामी स्टेट के बगदादी के हथियार ले कर गश्त लगा रहे पुलिस वाले के खिलाफ किसी की गुस्ताखी की खबर मिली तो तुरंत सजा-ए-मौत याकिउसका इनकाउंटर ही है। किस नागरिक की मजाल या कल्पना में हिम्मत जो वह डंडे के आगे गुस्ताखी करे। इन समाजों में मानव की तरह नहीं, बल्कि जानवर जैसा इंसान का अस्तित्व है। देखें वहां कोई महिला बिना बुर्के के बाहर निकले या कोई शहंशाह, राजा, कबीलाई प्रधानमंत्री, पुलिस-कोतवाल से पंगा ले तो बदले में सजा ऐसी पाएंगे कि सबकी हड्डियां कांपती मिलेंगी।
जंगल राज व्यवस्था की रूस और चीन की व्यवस्था से तुलना इसलिए नहीं करनी चाहिए क्योंकि तानाशाह राजा, राजा के डंडे, उसकी कार्यपालिका, उसकी पुलिस कुल मिलाकर लीडर और विचार में गुत्थी होती है, जबकि जंगल राज की व्यवस्था में आदिम व्यक्ति की शाश्वत जंगली प्रवृत्ति होती है। पूरा कबीला, पूरा धर्म, पूरा समाज, पूरा देश जब सऊदी अरब के प्रतिमान में सोचने लगे व आबादी कबीलाई हो दक्षिणी सूडान में मारो सालों वाला जुनून लिए हुए हो जाए तो फिर मामला आदिम बर्बर अवस्था का है।
तभी जंगल राज के तौर-तरीके अपना कर जनता में महानायक बनने का मैसेज देने, उससे नेता विशेष का इमेज बनाने का परिणाम कौम, धर्म, देश का अपने हाथों अपने को आदिम अवस्था में पहुंचाना है। सरकार का औजार जब सिर्फ डंडा हो और वह संविधान-कानून-अदालत, लोकतंत्र सबको बाईपास कर जनता की कथित भावना में (याकि अपने वैदिकजी की भावना में) अपराधी को मारे, थाने में पिता-पुत्र को बर्बरता से मजा चखाते हुए मौत दे या बोलने वाले की जुबान काटे, लिखने वाले के हाथ काटे-जेल में डाले, विरोधी को निर्वासित करे व रंक को खरबपति व खरबपति को जेल में डालने जैसी मनमर्जी की डंडादेशों में राज करे तो जान लें वह जंगल युग में प्रवेश है। कबीलाई तंत्र में सब बदलना है।
हां, भारत के अलग-अलग क्षेत्र में इन दिनोंऐसे कई मामले चावल के दाने सा अनुभव करा रहे हैं, जिनसे दिशा जंगल राज वाली है। समाज का कबीलाईकरण है, धर्म का कबीलाईकरण है तो लोकतंत्र, संस्थाओं, संसद, मीडिया, अदालत का इसलिए कबीलाईकरण है क्योंकि सब कबीलाई चीफ के लिए गर्दन हिलाते हुए हैं। इस सब पर यदि अपने वैदिकजी ताली बजाएं तो मुबारक उन्हें! मैं उनके साथ नहीं हू् मगर उनके विचार का सम्मान करता हूं। नरेंद्र मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ आज भारत को जो बना दे रहे हैं उसके लिए भी उनका अभिनंदन। इसलिए कि हिंदुओं को यह भी अनुभव ले लेना चाहिए। इतिहास में हिंदुओं ने कभी अपना जंगल राज नहीं बनाया, अपना औरंगजेबीकरण नहीं किया तो क्यों न 21वीं सदी वे अपने को इसमें ढाल इसका अनुभव भी बना लें। इससे शायद इस्लाम जैसे ही भिड़ने की ताकत पा जाएं!
जंगल राज तब घोषित हो!
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