उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि को लेकर दो तरह की धारणाएं हैं। एक तो यह कि असद अहमद के एनकाउंटर और अतीक व अशरफ अहमद की पुलिस सुरक्षा में हत्या के बाद से योगी ने अपने को उत्तर प्रदेश में कैद कर लिया है। वे उत्तर प्रदेश में लगातार राज तो कर सकते हैं लेकिन इस छवि के साथ दिल्ली और देश की राजनीति मुश्किल होगी। दूसरी धारणा यह है कि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम नेताओं और मुस्लिम माफिया की जो स्थिति बनी है उससे योगी पूरे देश के नेता हुए हैं। वे पूरे देश के हिंदुओं के मन में बैठ गए हैं। आखिर उन्होंने कानूनी तरीके से आजम खान का राजनीतिक साम्राज्य खत्म किया है, जिनकी एक समय तूती बोलती थी। अतीक अहमद का माफिया गैंग खत्म कर दिया। मुख्तार अंसारी का पूरा परिवार जेल में है और आगे मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। इससे पूरे देश के हिंदुओं में यह धारणा बनी है कि योगी से मुस्लिम खौफ में हैं। हिंदुओं की सुरक्षा है।
दूसरी धारणा को मानने का एक आधार यह भी है कि कुछ समय पहले तक गोरखपुर में यह नारा लगता था कि, ‘गोरखपुर में रहना है तो योगी योगी कहना होगा’। तब कहा जाता था कि योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के नेता हैं और उनकी जैसी कट्टरपंथी छवि है उस छवि के साथ पूरे प्रदेश की राजनीति वे नहीं कर पाएंगे। गोरखपुर की राजनीति में रहते उनके ऊपर जातिवाद के आरोप भी लगे, जो बाद में भी लगते रहे। इस आधार पर भी कहा जा रहा था कि वे पूरे उत्तर प्रदेश के नेता नहीं बन सकते हैं। तब उनकी हिंदू युवा वाहिनी थी, जिसके बारे में कहा जाता था कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ को यह पसंद नहीं है कि उसके छाते से बाहर कोई कोई दूसरा हिंदुवादी संगठन काम करे। लेकिन 2017 में जब योगी मुख्यमंत्री बने तब से उन्होंने सबको गलत साबित किया है। पांच साल का पहला कार्यकाल पूरा होने से पहले वे पूरे उत्तर प्रदेश के सर्वमान्य और लोकप्रिय नेता हो गए थे।
उनकी कमान में भाजपा 2022 में लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जीती है। 1985 के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि कोई सरकार दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ लौटी। लोकसभा के चुनाव में भी लगातार दूसरी बार 2019 में भाजपा ने अपना पुराना प्रदर्शन लगभग दोहरा दिया। उत्तर प्रदेश की दोनों बड़ी प्रादेशिक पार्टियों सपा और बसपा के साथ मिल कर लड़ने के बाद भी भाजपा जीती। एनडीए ने 80 में से 64 सीटें जीतीं। इस तरह योगी जब पूरे उत्तर प्रदेश के नेता हो गए तो कहा जाने लगा कि इस तरह की छवि के साथ वे देश की राजनीति नहीं कर सकते हैं। हो सकता है कि देश की राजनीति करने में उनकी छवि आड़े आए। लेकिन अभी उनके पास समय है। मोदी को भी 2002 के बाद 10 साल से ज्यादा समय लगा था अपना मेकओवर करने में। अमेरिकी ब्रांडिंग कंपनी एपको ने उनकी विकास पुरुष वाली छवि बनाई।
एक तरफ देश भर के हिंदुओं के मन में उनकी 2002 के बाद बनी छवि बैठी रही तो दूसरी ओर विकास पुरुष वाली उनकी छवि देश और दुनिया में दिखाई गई। यह काम योगी और उनकी टीम भी कर सकते हैं। योगी हिंदुओं के मन में जगह बना चुके हैं। अब अपने भगवा पहनावे और कट्टर हिंदुवादी राजनीति के लिए मीडिया, सामाजिक संगठनों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के भीतर जगह बनानी है। यह काम भी शुरू हो गया है। वे दुनिया भर के राजदूतों और उच्चायुक्तों से मिल रहे हैं। कारोबारियों और उद्योगपतियों का सम्मेलन करा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के विकास और कानून व्यवस्था का प्रचार देश भर में हो रहा है। उनके विज्ञापन अमेरिकी अखबारों में छपते हैं। जहां तक हिंदुओं के मन में उनकी छवि बनने का सवाल है तो वह बन गई है। वे रामराज लाने वाले व्यक्ति के तौर पर स्थापित हो रहे हैं। वे राजपूत समाज से आते हैं तो ठाकुरवाद करने का आरोप भी उनके ऊपर लगता है। लेकिन इसके बरक्स इसी जाति की वजह से उनकी धर्मरक्षक वाली छवि भी बन रही है। पुरानी वर्ण व्यवस्था के तहत क्षत्रिय की जिम्मेदारी रक्षा करने की होती है और एक तरह से यह काम करने का मैसेज वे बनवा रहे हैं। इसलिए थोड़े से राजनीति रूप से ज्यादा सक्रिय लोगों को छोड़ दें तो व्यापक हिंदू समाज में उनको लेकर अच्छी छवि बनी है।