बेबाक विचार

तभी तय गृहयुद्ध की दिशा!

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तभी तय गृहयुद्ध की दिशा!
शर्मनाक है हिंदुओं की दशा और खौफनाक है दिशा! अपने ही देश में अपने हाथों कई कश्मीर व खालिस्तान की जमीन बनवाते हुए। सोचें, आठ साल से भाजपा चुनाव जीत रही है। अभी यूपी से गोवा तक मोदी-योगी-संघ परिवार को अभूतपूर्व विजय मिली। बावजूद इसके संतोष नहीं। तभी दो दिन से देशी या प्रवासी भक्त हिंदू, सोशल मीडिया में हल्ला बनाए हुए है कि, हिंदुओं जागो.. ये जीत, ये खुशियां, ये होली... बस कुछ साल और मना लीजिए, उसके बाद न मोदी आएंगे और ना योगी आ पाएंगे.. इसलिए हिंदुओं बच्चे पैदा करो। direction of civil war जाहिर है छप्पर फाड़ जीत के बावजूद मोदी के आइडिया ऑफ इंडिया के प्रोपेगेंडा को चैन नहीं है। भक्त-लंगूर हिंदुओं ने सोशल मीडिया में हल्ला बनाया है कि, यूपी चुनाव में मुसमलानों ने अपनी औकात दिखा दी... मुस्लिम बहुल 71 सीटों में से 67 पर बीजेपी बड़े मार्जिन से हारी है... पिछली बार, बीजेपी को यहां से 47 सीटें मिली थीं... बहुचर्चित कैराना सीट पर नाहिद हसन...आजम खान जेल से ही जीत गया..ये अशांतिदूत कभी इस देश के नहीं हो सकते... इतराइए मत.. ध्यान से पढ़ें.. इन 35 मुस्लिम विधायकों के नाम... ये सभी सपा की मदद से विधानसभा में पहुंचे हैं... संपोले मर तो गए हैं... पर जो जिहादी अंडे छोड़ गए हैं उतने ही जहरीले हैं... इसलिए हिंदुओं का जागृत होना बहुत जरूरी है... जनसंख्या नियंत्रण जरूरी है...हिंदुओं बच्चे पैदा करो! उधर प्रवासी, कथित पढ़े-लिखे भक्त हिंदुओं (कनाडा) का यह पोस्ट देखने को मिला कि ‘केजरीवाल का पंजाब है नया कश्मीर’...खालिस्तानियों से खतरे में पंजाबी हिंदू जीवन... हिंदू नेताओं को पंजाब खाली करने या परिणाम भुगतने की धमकी... उफ! क्या है यह! पंजाब में आप पार्टी की जीत या उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के मुकाबले में खड़े होने का सत्य मोदी के आइडिया ऑफ इंडिया के दिल-दिमाग को इतना घायल कर गया जो सन् 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अभी से हिंदुओं को फिर उबालना। मतलब जिसने भी मोदी-योगी को वोट नहीं दिया उसे प्रताड़ित करते हुए हिंदुओं से कहना कि जागो हिंदुओं, नरेंद्र मोदी को और ताकत दे कर फिर प्रधानमंत्री बनाना है नहीं तो खालिस्तानी और पाकिस्तानी जिहादी अंडे फूटेंगे।   जीत के बाद भी ऐसा हल्ला? क्यों? अल्पकालिक मायने में लगता है कि सन् 2024 के लोकसभा चुनाव तक अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव दोनों को सिख और मुस्लिम मतदाताओं के इन पर विश्वास के आधार पर इन्हें टारगेट बना हिंदुओं को मोदी के लिए गोलबंद करने का हल्ला रहेगा। सपा से जीते विधायकों के लिए बहुत मुश्किल होगी। ये यूपी की विधानसभा में अपनी बात नहीं कह पाएंगे तो इलाके में काम भी नहीं करवा पाएंगे। मुसलमान में यह अलगाव बढ़ेगा कि सपा को वोट दिया, विधायक जिताया तब भी कुछ सुनवाई नहीं तो ओवैसी ही ठीक। हमें लड़ना होगा। ऐसा ही पंजाब में भी होगा। अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान को फेल करने के लिए मोदी के आइडिया ऑफ इंडिया की राजनीति में इनकी बदनामी, इन पर बुलडोजर चलेंगे। जवाब में केजरीवाल भी डाल-डाल, पात-पात के संघर्ष में न चाहते हुए भी सिख-हिंदू बिखराव रोक नहीं सकेंगे। हिसाब से हर हिंदू को केजरीवाल का धन्यवाद करना चाहिए। इसलिए कि किसान आंदोलन के साथ पंजाब के सिख घर-परिवार में हिंदूशाही पर जैसी एलर्जी बनी उसे केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने संभाला और बांधा है। केजरीवाल और भगवंत मान सौ टका उतने ही राष्ट्रवादी हैं, जैसे मोदी-योगी अपने को बताते हैं। केजरीवाल हिंदू हैं और पंजाब में उनकी सफलता का देशहित में अर्थ यह है कि प्रदेश में सिख, हिंदू-दलित सबने गवर्नेंस की जरूरत में आम आदमी पार्टी को अपनाया। एक हिंदू राष्ट्रवादी की कमान वाली पार्टी में पूरी आबादी का ऐसे एकजुट होना क्या अलगाववादियों, नाराज किसानों का मुख्यधारा में विश्वास बनवाने वाला नहीं हो सकता? इस पर हिंदुओं को उम्मीद बनानी चाहिए या खालिस्तानी का स्यापा बनवाना चाहिए?  Diya and Tuffan battle लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विजय भाषण में पंजाब में अलगाववादी का जो डायलॉग मारा  और भक्त लंगूरों के ‘केजरीवाल का पंजाब है नया कश्मीर’ जैसे जो पोस्ट चले हैं उससे साफ है कि केजरीवाल को खालिस्तानी कह-कह कर ही भक्त हिंदू केजरीवाल पर पिले पड़े रहेंगे ताकि वे हरियाणा, हिमाचल, गुजरात याकि आगे के चुनावों में दुबके-रक्षात्मक रहें। इससे अपने आप खालिस्तानी अलगाववादी हिंदूशाही से और चिढ़ेंगे। वैश्विक पैमाने पर मुस्लिम-सिख का देर सबेर वह धमाल बनना है, जिससे बचाने के लिए दुनिया की कोई ताकत मोदी सरकार के प्रति सहानुभूति लिए हुए नहीं होगी।   Read also महादशा में दीया कैसे जीतेगा? इसे कनाडा की इस हकीकत से समझें कि कनाडा की राजनीति में संख्या, समझ और मेहनत से सिखों का बोलबाला है। इसके चलते वहां संघ परिवार के भक्त हिंदू पिटते हुए हैं। कनाडा में भक्त हिंदू अपने व्यवहार से बेगाने और उपेक्षित हैं। वे इसी की हताशा में वैसे ही खालिस्तानी डर से चीखते-चिल्लाते हुए हैं, जैसे भारत में अभी यूपी के ताजा नतीजों पर भक्त लंगूरों का राग बना है कि यूपी के नतीजों से हिंदुओं जागो। मुसलमान संख्या में बढ़ेंगे और भारत दारूल इस्लाम हो जाएगा। इसलिए बच्चे पैदा करो! यह बेहूदा बात है। वैसे ही जैसे ब्रिटेन और फ्रांस को ले कर भी इस्लामोफोबिया में सोचा जाता है कि सौ-दो सौ सालों में ये देश भी मुस्लिम संख्या से इस्लामी हो जाएंगे। निःसंदेह इस्लाम की सच्चाई अपनी जगह है और इस पर जितना मैंने लिखा है, शायद ही किसी ने लिखा होगा लेकिन बावजूद इसके अपना मानना है कि आधुनिक वक्त और अगले सौ-दो सौ सालों के मानव विकास में वह क्रांतिकारी विकास होना है कि मानव सभ्यता अंतरिक्ष में अपनी बस्तियां लिए हुए होगी तो ऐसा संभव बनाने वाली ज्ञानवान सभ्यताओं से ही सभ्यताओं के संघर्ष में भक्त लंगूरों-जिहादी धर्मांध-कट्टरपंथी-बुद्धिहीन जमातें घास चरती हुई होंगी। तभी डरने की जरूरत नहीं है। उस नाते हिंदुओं को अपने सनातन मूल्यों की जिजीविषा से सनातनी अस्तित्व को बनाने के लिए ज्ञान-बुद्धि-सत्य-नॉलेज की साधना में रमना चाहिए न कि जाहिलों की तरह झूठ में जीना चाहिए या लोगों को बहकाना चाहिए। जैसे यह कि हिंदुओं, बच्चे पैदा करो। पहली बात, कलियुग में हिंदुओं ने कब बच्चे कम पैदा किए? 14 सौ साल पहले भी पृथ्वी पर हिंदू आबादी कम नहीं थी। सर्वाधिक थी। करोड़ों की आबादी के राजाधिराज पृथ्वीराज चौहान तब भी हिंदुओं की भीड़ के वैसे ही महाबली थे जैसे आज मोदी हैं। बावजूद इसके खैबर पार से कुछ सौ घुडसवारों के साथ गोरी दिल्ली का सुल्तान बन बैठा। हिंदुओं ने खूब बच्चे पैदा किए बावजूद इसके सदियों गुलामी। हिंदुओं की भारी आबादी की वजह से ही गोरी-गजनवी, चंगेज खान, नादिर शाह, मुगल से लेकर गोरे अंग्रेजों के लिए हिंदुओं से पांव दबवाना, मुजरा करवाना, मनसबदारी करवा उन्हें लूटने का वैसा ही आसान लालच था, जैसे आधुनिक काल में 140 करोड़ लोगों की भीड़ को चीन आर्थिक शोषण से चूसता हुआ है। तब भीड़ व बच्चे पैदा करने से क्या बनेगा? पहले क्या यह विचारने वाली बात नहीं कि हिंदुओं की संख्या, उनके वोट और उनकी सत्ता पर अधिकाधिक अधिकार बना लेने के बाद भी मोदी सरकार ने हिंदुओं का कैसा वर्तमान बनाया है और क्या भविष्य बनाएंगे? बच्चे पैदा करके संख्या बढ़ाने से क्या होना है? पॉवर से क्या होना है जब नस्ल, धर्म याकि हिंदुओं का जीवन ही कायर, भयाकुल, भूखा, भिखमंगा (लाभार्थी), बुद्धिहीन और दीन-हीन है! सोचें, ईमानदारी से सोचें, दिल पर हाथ रख कर सोचें, पिछले आठ सालों में हिंदू अपने आपको अधिक असुरक्षित, भूखा, भिखारी और अंधविश्वासी हुआ है या नहीं? नरेंद्र मोदी के आठ साला राज का सत्व-तत्व केवल एक है और वह बहुसंख्यक हिंदुओं का भिखारी (लाभार्थी) बनना। पूरे देश की राजनीति, शासन-प्रशासन एक मंदिर, उसमें मूर्ति की भक्ति और उसके बदले प्रसादी, ‘धर्मादा’ में 100 करोड लोगों का मंदिर बाहर का भिखारी जीवन है। मानो भिखारी संख्या कम, जो प्रचार कि जागो हिंदुओं, बच्चें पैदा करो। सोचें, डेढ़-दो सौ करोड़ हिंदू संख्या हो जाए तब भी क्या होगा? मंदिर के बाहर मांगते-ताकते, रोजाना की रोजी-रोटी की चिंता वाले आश्रित भीड क्या देश की, धर्म की, कौम की रक्षा कर सकती है? जरा गौर करें मौजूदा समय में रूस बनाम यूक्रेन की लड़ाई पर। रूस महाबली देश है। सैनिक ताकत में सुपर पॉवर। पुतिन रावण का महाबाप। उसके आगे पिद्दी से यूक्रेन की क्या औकात? मगर यूक्रेन के लोग भागे नहीं। क्यों? वजह उनका स्वाभिमान, स्वतंत्रता का वह पुरषार्थी जीवन लिए होना है जिससे नस्ल, कौम जिंदादिली से लड़ती है। यूक्रेन के शरणार्थी हुए चेहरों और लॉकडाउन के वक्त भारत की भागती, भगदड़ी भीड के चेहरों के फर्क से क्या समझ नहीं आता कि हम हिंदूओं की भीड के बूते क्या है? क्या उन जैसी बहादुरी, जिंदादिली हिंदुओं में है? क्या जिंदादिली बच्चे पैदा होने से होगी? यूक्रेनियों जैसी स्वतंत्रता की जिद्द क्या लाभार्थी-भिखमंगों की सवा सौ करोड़ लोगों की कतार में है? ईश्वर के लिए ऐसा न हो लेकिन कल्पना करें कि पुतिन जीत जाएं। पश्चिमी सभ्यता लूट-पिट जाए। मौके का फायदा उठा कर चीन-पाकिस्तान मिल कर भारत पर हमला करें तो भारतीय सेना के साथ क्या जम्मू-कश्मीर या पंजाब, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश सीमा पर हिंदुओं की भीड़ वैसे ही विदेशी सेना, विदेशी टैंकों के आगे खड़ी मिलेगी जैसी हाल में यूक्रेन में तस्वीरें देखने को मिली हैं? विचार करें कि भक्त हिंदू हो या सेकुलर हिंदू, हम हिंदुओं में जब घर के भीतर लोकतंत्र के परिवेश में भी मुसलमान से आंख से आंख मिला कर संवाद और उन्हें समझाने, सुधारने का माद्दा नहीं है तो यूक्रेन जैसे सिनेरियो में सीमावर्ती इलाकों के लोगों में भला क्या लड़ने और कुरबानी का हौसला होगा? भक्त लंगूरों की गालियां खाए कथित खालिस्तानी या कश्मीरी, पाकिस्तानी कैसी तब मनोदशा में होंगे? लोग विदेशी सेना के टैंकों के आगे खड़े होंगे या सब सुरक्षा का काम सेना-प्रशासन का मान कर भाग खड़े होंगे?  यूक्रेन से साबित हुआ है कि पुतिन जैसे शी जिनफिंग और इमरान खान की प्रवृत्ति और मिशन में सर्वाधिक खतरे का क्षेत्र दक्षिण एशिया है। भारत निपट अकेला है। और भारत मानसिक, शारीरिक (भिक्षा, कृपा पर जीने वाली आबादी), आर्थिक तौर पर जर्जर। बावजूद इस रियलिटी के देशी और विदेशी भक्त हिंदू चुनावी जीत के बाद भी गृहयुद्ध की और ले जाने वाला स्यापा लिए हुए हैं कि मुसलमान फलां-फलां जिले में जीत गए। इसलिए हिंदुओं जागो, बच्चे पैदा करो!
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