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छत्तीसगढ़: पूर्व सीएम के बेटे चैतन्य बघेल की बढ़ीं मुश्किलें

Raipur, Jul 18 (ANI): Former Chhattisgarh Chief Minister and Congress leader Bhupesh Baghel's son, Chaitanya Baghel, being produced by the Enforcement Directorate (ED), at PMLA court in Raipur on Friday. (ANI Video Grab)

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ईओडब्ल्यू विशेष कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। अब चैतन्य बघेल को अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) की रिमांड में भेज दिया गया है। 

हाईकोर्ट से तुरंत राहत न मिलने के बाद ईओडब्ल्यू ने चैतन्य बघेल और व्यवसायी दीपेंद्र चावड़ा को गिरफ्तार कर विशेष अदालत में पेश किया, जहां ईओडब्ल्यू को दोनों की रिमांड सौंप दी गई। पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल 13 दिन यानी 6 अक्टूबर तक ईओडब्ल्यू की रिमांड में रहेंगे, जबकि दीपेंद्र चावड़ा को 29 सितंबर तक पुलिस रिमांड पर सौंपा गया। इस दौरान ईओडब्ल्यू दोनों से पूछताछ करेगी।

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था।

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके बेटे चैतन्य बघेल की याचिकाओं पर सुनवाई से साफ इनकार करते हुए उन्हें अंतरिम राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश भी दिया है कि वह दोनों की अर्जियों पर जल्द सुनवाई करे।

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भूपेश बघेल और उनके बेटे की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सख्त टिप्पणियां की थीं। कोर्ट ने कहा था कि दोनों ने एक ही याचिका में पीएमएलए (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने के साथ-साथ जमानत जैसी व्यक्तिगत राहत की मांग भी की है, जो उचित नहीं है।

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने पिता-पुत्र के सीधे सुप्रीम कोर्ट आने पर भी सवाल उठाया था। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि जब किसी मामले में कोई प्रभावशाली व्यक्ति शामिल होता है तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाता है। अगर हम ही हर मामले की सुनवाई करेंगे तो अन्य अदालतों का क्या उपयोग रह जाएगा? अगर ऐसा होता रहा तो फिर गरीब लोग कहां जाएंगे? एक आम आदमी और साधारण वकील के पास सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने की कोई जगह ही नहीं बचेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने के नाम पर याचिकाकर्ता सीधे अंतिम राहत नहीं मांग सकते। कोर्ट ने कहा कि एक ही याचिका में आप सब कुछ नहीं मांग सकते। इसके लिए तय प्रक्रिया और मंच हैं। कोर्ट ने चैतन्य बघेल को जमानत याचिका के लिए हाईकोर्ट जाने को कहा और यह भी निर्देश दिया कि हाईकोर्ट इस पर जल्द सुनवाई करे। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 50 और 63 को चुनौती देने के लिए अलग से याचिका दाखिल करने की सलाह दी थी।

Pic Credit : ANI

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