नई दिल्ली। सरकार ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में कहा कि वह महाराष्ट्र के जैतापुर (Jaitapur) में परमाणु संयंत्र (nuclear plant) के निर्माण से जुड़े मुद्दों को फ्रांस के साथ सुलझाने की गंभीरता से कोशिश कर रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह (Jitendra Singh) ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। सिंह ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच विचारों में मतभेद भू-राजनीतिक कारणों से हुआ। हम बहुत गंभीरता से इसे सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
वह जैतापुर में परमाणु संयंत्र के बारे में कांग्रेस नेता जयराम रमेश के पूरक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। सिंह ने कहा कि तकनीकी, वित्तीय और असैन्य परमाणु दायित्व से जुड़े कुछ मुद्दे हैं जिन्हें दोनों पक्षों को हल करना है।
चार राज्यों में बनने वाले नए परमाणु संयंत्रों की प्रगति के बारे में पूछे गए एक अन्य पूरक प्रश्न का उत्तर देते हुए सिंह ने कहा, परियोजनाएं प्रगति पर हैं… अनावश्यक देरी नहीं हुई है। सरकार ने 2017 में चार राज्यों में परमाणु बिजली संयंत्रों की स्थापना के लिए मंजूरी दी थी। ये संयंत्र कर्नाटक, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं को 2031 तक चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
देश में परमाणु ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि सरकार ने अगले 10 वर्षों के लिए, खासकर परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए 3,000 करोड़ रुपये का अलग बजट रखा है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर, परमाणु संयंत्र दक्षिणी भारत और पश्चिमी महाराष्ट्र में स्थित थे। उन्होंने कहा कि उन्हें देश के अन्य हिस्सों में भी स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं और एक संयंत्र राष्ट्रीय राजधानी से करीब 150 किलोमीटर दूर गोरखपुर (हरियाणा) में लगाया जा रहा है।
सिंह ने कहा कि सरकार ने पहली बार परमाणु ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ संयुक्त उद्यम की अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि ऐसे दो संयुक्त उपक्रमों में अच्छी प्रगति हुई है और एनटीपीसी एवं इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के साथ संयुक्त उपक्रम बनाए गए हैं। (भाषा)