नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम, एमसीडी की गतिविधियों में दखल देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उप राज्यपाल पर सवाल उठाए हैं। सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार, चार अक्टूबर की सुनवाई में दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के सदस्य की चुनाव प्रक्रिया पर आपत्ति जताई। कोर्ट ने उप राज्यपाल वीके सक्सेना के एमसीडी एक्ट की धारा 487 के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाया। और साथ ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उप राज्यपाल के दखल देने और मेयर शैली ओबेरॉय को नजरअंदाज करने पर नाराजगी जताई।
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने उप राज्यपाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन से पूछा- धारा 487 के तहत चुनाव में बाधा डालने का अधिकार आपको कहां से मिला, खासकर जब स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य का चुनाव हो? आपको इतनी जल्दी क्या थी कि आप दो दिन में ही चुनाव कराना चाहते थे? अगर आप इस तरह से दखल अंदाजी करते रहेंगे तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया का क्या होगा?
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव को चुनौती देने वाली मेयर शैली ओबेरॉय की याचिका पर नोटिस जारी किया। अदालत ने कहा कि दो सप्ताह बाद याचिका पर सुनवाई होने तक स्थायी समिति के अध्यक्ष के चुनाव न कराए जाएं। अगर चुनाव कराते हैं तो हम इसे गंभीरता से लेंगे। गौरतलब है कि एमसीडी की स्थायी समिति की अंतिम खाली सीट के लिए 27 सितंबर को वोटिंग हुई। भाजपा उम्मीदवार सुंदर सिंह को पार्टी पार्षदों के सभी 115 वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी की निर्मला कुमारी को कोई वोट नहीं मिला। क्योंकि आप और कांग्रेस ने चुनाव में हिस्सा नहीं लिया था।