wakf bill: वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन के लिए लाए गए विधेयक के मसौदे को संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी ने मंजूरी दे दी है।
जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल इसे गुरुवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को सौंपेंगे। गौरतलब है कि सरकार के विधेयक में बदलाव के लिए विपक्षी पार्टियों ने कई सुझाव दिए थे लेकिन सारे सुझाव खारिज कर दिए गए। सत्तापक्ष के सांसदों की ओर से दिए गए 14 सुझावों को इसमें शामिल किया गया है।
बुधवार को जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया कि जेपीसी के 16 सदस्यों ने मसौदे के पक्ष में वोट डाला, जबकि 11 सदस्यों ने विरोध किया।(wakf bill)
उन्होंने कहा, ‘अब यह रिपोर्ट गुरुवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के सामने पेश की जाएगी। उसके आगे की कार्यवाही वह करेंगे’। जेपीसी में शामिल विपक्षी सांसदों ने इस बिल पर आपत्ति जताई है।
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा, ‘हमें कल रात 655 पन्नों की ड्रॉफ्ट रिपोर्ट मिली। 655 पन्नों की रिपोर्ट को रातों रात पढ़ना असंभव है। मैंने असहमति जताई है और संसद में भी इस विधेयक का विरोध करूंगा’।
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इससे पहले 27 जनवरी को वक्फ संशोधन कानून पर जेपीसी की बैठक में 44 संशोधनों पर चर्चा की गई थी। इनमें से एनडीए सांसदों के 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया था, जबकि विपक्ष के संशोधनों को खारिज कर दिया गया था।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी और नदीमुल हक के साथ साथ डीएमके सांसद ए राजा, आप के संजय सिंह और उद्धव ठाकरे की शिव सेना के सांसद अरविंद सावंत व असदुद्दीन ओवैसी ने बैठक के तुरंत बाद औपचारिक रूप से अपनी असहमति दर्ज करा दी है।
जेपीसी में शामिल कांग्रेस सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने कहा, ‘कई आपत्तियां और सुझाव दिए गए थे, लेकिन उन्हें रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है।(wakf bill)
सरकार ने अपने अनुसार रिपोर्ट बनाई है। असंवैधानिक संशोधन लाए गए हैं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को नुकसान पहुंचाया गया है।
संशोधन अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय को अलग-थलग करने के लिए लाए गए हैं’।
डीएमके सांसद ए राजा ने दावा किया कि यह प्रस्तावित कानून असंवैधानिक होगा और उनकी पार्टी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
उन्होंने कहा कि समिति में किए गए तर्क और प्रस्तुत किए गए दस्तावेज इस कानून को चुनौती देने में मदद करेंगे।(wakf bill)