नई दिल्ली | SC Harassment Mumbai Highcourt : बॉम्बे हाईकोर्ट में स्किन टू स्किन फैसले पर आज सुनवाई की गई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लीगल सर्विसेज कमिटी को आदेश दिया था कि दोनों मामले में बच्ची से छेड़छाड़ के आरोपियों की ओर से पैरवी करें. इसी सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति सर जारी कल दस्ताने की जोड़ी पहनकर महिला के शरीर से छेड़छाड़ करता है तो उस फैसले के अनुसार तो वे यौन उत्पीड़न का दोषी नहीं कहा जाएगा. उन्होंने कहा कि महिला के शरीर से छेड़छाड़ एक गलत हरकत है और इस संबंध में बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला अपमानजनक है. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि मुंबई हाई कोर्ट के फैसले में शामिल दोनों मामलों के आरोपियों की ओर से अदालत में कोई पेश नहीं हुआ. यहीं कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने लीगल सर्विसेज कमिटी से पैरवी करने को कहा था.
क्या है मामला
SC Harassment Mumbai Highcourt : बता दें कि 27 जनवरी को मुंबई हाईकोर्ट के फैसले के तहत एक आरोपी को बरी कर दिया गया था. बरी होने वाले 40 साल के व्यक्ति पर आरोप था कि उसने 12 साल की एक बच्ची के स्तन को गलत तरीके से टटोला था. पीड़िता ने बाद में इस बात की शिकायत अपनी मां से की थी. जिसके बाद पीड़िता के परिवार वालों ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया था. लेकिन इस पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया था और कहा था कि पॉक्सो एक्ट की धारा 8 के अर्थ में उसे यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता. कोर्ट के द्वारा तर्क दिए गए थे कि स्किन टू स्किन टच ना हो तब तक उसे यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता.
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खतरनाक मिसाल कायम होने की संभावना
कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि यह निर्णय काफी अपमानजनक है. उन्होंने कहा कि इस हालात में तो किसी दस्ताने पहनकर महिला के साथ गलत हरकत करने पर भी दोषी नहीं ठहराया जा सकता. उन्होंने कहा कि अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हाई कोर्ट केस तरह के फैसले से गलत मिसाल कायम होती है. बता दें कि पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे छेड़खानी करार दिया था ना कि पोक्सो एक्ट के तहत यौन शोषण का दोषी माना गया था.
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