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नौसेना में शामिल हुआ भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार

Vishakhapatnam, July 18 (ANI): MoS Defence Sanjay Seth in a group picture with Chief of the Naval Staff Admiral Dinesh K. Tripathi during the commissioning of INS Nistar, India's first indigenously designed & constructed Diving Support Vessel, in Vishakhapatnam on Friday. (@SpokespersonMoD X/ANI Photo)

नई दिल्ली। भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल आईएनएस निस्तार शुक्रवार को भारतीय नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया। यह जहाज गहरे समुद्र में जटिल डाइविंग और बचाव अभियानों के लिए बनाया गया है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह क्षमता दुनिया की कुछ ही नौसेनाओं के पास है। 

आईएनएस निस्तार की कमीशनिंग से भारतीय नौसेना की ‘फर्स्ट रिस्पांडर’ की भूमिका को और अधिक मजबूती मिली है। विशाखापटनम में आयोजित एक भव्य समारोह में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ की उपस्थिति में यह कमीशनिंग सम्पन्न हुई। यह पोत हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा बनाए जा रहे दो डाइविंग सपोर्ट वेसल्स में से एक है।

संजय सेठ ने नौसेना और स्वदेशी शिपबिल्डिंग उद्योग की सराहना करते हुए कहा कि आईएनएस निस्तार का कमीशनिंग एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का प्रतीक है। वर्तमान में भारतीय नौसेना के लिए निर्माणाधीन सभी 57 युद्धपोत स्वदेशी रूप से निर्मित किए जा रहे हैं। देश की सशस्त्र सेनाओं की क्षमताओं पर विश्वास जताते हुए उन्होंने कहा कि भारत अपने किसी भी प्रतिद्वंद्वी की दुस्साहसी गतिविधियों से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम और प्रतिबद्ध है।

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नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने आईएनएस निस्तार को केवल एक तकनीकी संसाधन नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण परिचालन सहायक करार दिया। उन्होंने कहा कि निस्तार भारतीय नौसेना और हमारे क्षेत्रीय साझेदारों को पनडुब्बी बचाव सहयोग प्रदान करेगा और भारत को इस क्षेत्र में एक ‘प्रेफ्रड सबमरीन रैस्क्यू पार्टनर’ के रूप में उभरने में मदद करेगा। यह आत्मनिर्भर भारत की एक और चमकदार मिसाल है।

आईएनएस निस्तार की विशेषताओं की बात करें तो इसकी लंबाई 118 मीटर, वजन 10,000 टन से अधिक और अधिकतम डाइविंग गहराई 300 मीटर है।

इस मौके पर नौसेना प्रमुख ने याद दिलाया कि नौसेना में एक परंपरा है कि ‘पुराने जहाज कभी नहीं मरते’, वे हमेशा नए अवतार में वापस आते हैं। आज भी, एक गौरवशाली नाम निस्तार वापस लौटा है, जो एक नए आत्मबल और उद्देश्य के साथ पुन अवतरित हुआ है। 

इस जहाज के भूतपूर्व अवतार का सृजन 29 मार्च 1971 को हुआ था और उसने तुरंत 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। निस्तार ही था जिसने यहीं, विशाखापटनम के हार्बर के बाहर डाइविंग करके, पाकिस्तानी सबमरीन गाजी की पहचान की थी और ईस्टर्न थिएटर ऑपरेशंस में सुदृढ़ योगदान दिया था।

Pic Credit : ANI

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