अमित शाह ने अपनी झारखंड यात्रा में जो कुछ कहा क्या उससे यह अंदाजा लगाया जाए कि राज्य सरकार के ऊपर मंडरा रहा खतरा टल गया है? ध्यान रहे अमित शाह ने एक तरह से यह साफ किया कि उन्होंने या पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने कभी भी राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास नहीं किया लेकिन राज्य सरकार को और राज्य की राजनीति को जानने वालों को पता है कि कितना गंभीर प्रयास हुआ था। कम से कम दो बार राज्य सरकार गिरने की कगार पर पहुंच गई थी। कांग्रेस के विधायक पाला बदलने को तैयार बैठे थे लेकिन सही समय पर मिली सूचना के आधार पर हेमंत सोरेन सरकार ने सारा प्लान फेल कर दिया। अब अगले चुनाव में कम समय बचा है इसलिए माना जा रहा है कि अब सरकार गिराने का प्रयास नहीं होगा। झारखंड के राज्यपाल ने एकाध एटम बम फूटने की जो बात कही थी लगता है उसे भी टाल दिया गया है।
अमित शाह ने इसका भी संकेत दिया, जब उन्होंने कहा कि 2024 के चुनाव में झारखंड में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी। इसका मतलब है कि झारखंड का चुनाव तय समय पर यानी नवंबर 2024 में ही होगा। भाजपा के जानकार सूत्रों का यह भी कहना है कि अगले साल मई में लोकसभा के साथ झारखंड विधानसभा का चुनाव नहीं होगा। चुनाव समय पर ही होगा। हालांकि उससे पहले भले सरकार को अस्थिर करने का प्रयास नहीं किया जाए लेकिन सरकार को स्थिर भी नहीं रहने दिया जाएगा। भाजपा का सरकार विरोधी अभियान चलता रहेगा और केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई भी चलती रहेगी। मुख्यमंत्री के ऊपर विधानसभा में अयोग्यता और आय से अधिक संपत्ति के मामलों की तलवार लटकी रहेगी। बाकी नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ जांच चलती रहेगी। कारोबारी भी केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर रहेंगे।