रांची। झारखंड में लड़कियां (Daughters) कम उम्र में ब्याहे जाने के खिलाफ खुद बगावत का झंडा थाम रही हैं। पिछले एक महीने के भीतर तीन लड़कियों ने खुद पुलिस-प्रशासन (police administration) के पहुंचकर अपना बाल विवाह (child marriage) रुकवाया है। इन सभी ने अपने माता-पिता और अभिभावकों के फैसले का विरोध किया और जब वे नहीं माने तो उनके खिलाफ कंप्लेन लेकर प्रशासन के पांच पहुंच गईं। प्रशासन के दखल पर इनकी शादी रुकी और परिजनों को सख्त चेतावनी दी गई।
कोडरमा के डोमचांच में बसवरिया गांव की छाया की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ आगामी 6 जून को होने वाली थी। छाया 12वीं की छात्रा है और उसकी उम्र 17 साल है। उसने पहले परिजनों को समझाने की कोशिश की। उनसे गुजारिश की कि वह आगे पढ़कर अपने पांवों पर खड़ा होना चाहती है। घरवालों ने उसकी एक न सुनी। आखिरकार छाया ने पिछले हफ्ते ब्लॉक के बीडीओ को इस बात पत्र लिखा।
बीडीओ उदय कुमार सिन्हा ने नाबालिग के घर पहुंचकर परिजनों को समझा-बुझाकर बच्ची की शादी रुकवाई। उन्होंने घरवालों को कहा कि नाबालिग बच्ची की शादी करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। काउंसिलिंग के बाद घर वाले भी छाया के फैसले पर रजामंद हुए। बीडीओ ने बुधवार को छाया को प्रखंड कार्यालय में बुलाकर उसके हौसले के लिए सम्मानित भी किया है।
दूसरी घटना रांची के बुढ़मू प्रखंड की है। यहां ठाकुरगांव थाना क्षेत्र के भांट बोड़ेया गांव के राजेश महतो की नाबालिग पुत्री पायल कुमारी (14 वर्ष) की शादी रामगढ़ जिले के पतरातू थाना क्षेत्र में तय हुई थी। पायल राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय उरुगुट्टू में नौवीं कक्षा में पढ़ती है। लड़की ने स्वजनों से शादी न करने और आगे पढ़ाई करने की बात की थी, लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई। ऐसे में पिछले हफ्ते वह ठाकुरगांव थाना पहुंच गई। ठाकुरगांव थाना प्रभारी कृष्ण कुमार तथा पुलिस निरीक्षक जुगनू महथा ने लड़की के स्वजनों को थाने बुलाया और कानूनी कार्रवाई का भय दिखाकर, समझा-बुझाकर शादी रुकवाई। थाने में पायल ने कहा कि वह पढ़-लिखकर समाज के लिए कुछ करना चाहती है। शादी रुकने से वह काफी खुश है।
इसी तरह का मामला अप्रैल के पहले हफ्ते में दुमका जिले में सामने आया। जिले के जरमुंडी थाना क्षेत्र के केराबनी गांव में 17 वषीर्या प्रियंका की शादी उसकी मर्जी के खिलाफ तय कर दी गई। इनकार के बावजूद घरवाले मानने को तैयार न थे तो उसने खुद चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचना देकर शादी रुकवाने की गुहार लगाई। इसपर जरमुंडी के बीडीओ फुलेश्वर मुर्मू ने गांव पहुंचकर घर वालों की काउंसलिंग की। आखिरकार उसकी भी शादी रोकी गयी।
पिछले साल नवंबर महीने में कोडरमा थाना क्षेत्र के बरसोतियावर गांव की 13 वर्षीय छात्रा ने चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर कॉल कर बताया था कि उसकी सहेली की जबरन शादी की जा रही है, लेकिन वह अभी शादी नहीं करना चाहती है और अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती है। इसके बाद पुलिस पुलिस ने नाबालिग बच्ची को बचाकर बाल कल्याण समिति को सौंप दिया, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन की मदद उसका दाखिला कस्तूरबा बालिका विद्यालय में कराया गया। यह खबर सामने आने के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने मामले को स्वत: संज्ञान लिया था और स्थानीय प्रशासन को सख्त कार्रवाई का आदेश दिया था।
बता दें कि बाल विवाह के मामले में झारखंड तीसरे नंबर पर है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के मुताबिक झारखंड में 32.2 प्रतिशत यानी प्रत्येक 10 में से कम से कम तीन लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाती है। (आईएएनएस)