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केदारनाथ धाम में हादसें की भरमार फिर भी आस्था अड़िग….

केदारनाथ

उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ धाम, जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनता है। लेकिन इस बार की यात्रा में हादसों की संख्या ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।

जून 2013 का साल उत्तराखंड के लिए महाविनाशक था। 16 जून 2013 को केदारनाथ धाम में आई भयावह महाविनाशक बाढ़ ने पुरे देशभर को झकझोर कर रख दिया। उस आपदा में सैकड़ों लोग मारे गए। उस आपदा के बाद लगा था कि अब केदारपुरी में श्रद्धालुओं की संख्या में कमी हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आपदा के बाद बाबा केदार के भक्तों की संख्या चार गुनी हो गई।

केदारनाथ धाम में बारिश के चलते खराब मौसम के कारण बादल फटना, बारिश के कारण रास्ते में फिसलन होना और बारिश के कारण हेलिकॉप्टर क्रैश होना आम बात है लेकिन फिर भी श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आती है। बाबा केदार के दर्शन करने के लिए शिवभक्त अनेक कठिनाईयों का सामने करते पहुंच ही जाते है।

कभी खराब मौसम की वजह से भूस्खलन, तो कभी ऊंचाई और थकान के कारण श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ना—ऐसे कई घटनाक्रम सामने आए हैं, जिनमें दर्जनों यात्रियों की जान जा चुकी है। स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, और लगातार बदलते मौसम की मार से कई बार यात्रा भी बाधित होती रही है।

कठिन राहों पर अडिग आस्था

हाल ही में केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर कई स्थानों पर फिसलन और चट्टानें गिरने की घटनाएं हुईं, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद श्रद्धालुओं का जोश और भगवान शिव में उनकी अडिग आस्था देखकर हर कोई हैरान है।

लोग कठिन रास्तों, कम ऑक्सीजन, और कड़ाके की ठंड के बावजूद भोलेनाथ के दर्शन को निकल पड़ते हैं। वृद्ध, महिलाएं, बच्चे—हर कोई अपने भीतर अपार श्रद्धा और साहस लेकर इस कठिन यात्रा को पूरा करने में जुटा है।

प्रशासन की ओर से भी लगातार सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं। केदारनाथ धाम मार्ग पर स्वास्थ्य शिविर, रेस्क्यू टीम, और निगरानी तंत्र सक्रिय है, लेकिन तीर्थयात्रियों की संख्या इतनी अधिक है कि व्यवस्थाओं पर लगातार दबाव बना हुआ है।

इन तमाम कठिनाइयों और हादसों के बावजूद जो बात सबसे ज्यादा उल्लेखनीय है, वह है श्रद्धालुओं की अडिग आस्था। ऐसा लगता है मानो हर यात्री के मन में बस एक ही संकल्प हो—”हर हाल में बाबा केदार के दर्शन करने हैं।” यही श्रद्धा इस यात्रा को आध्यात्मिक और भावनात्मक रूप से अत्यंत शक्तिशाली बना देती है।

केदारनाथ धाम की यात्रा महज एक तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि श्रद्धा, सहनशीलता और साहस की परीक्षा है। और इस परीक्षा में हर साल लाखों श्रद्धालु बिना डरे, बिना रुके शामिल होते हैं—बाबा केदार के साक्षात दर्शन की कामना लिए।

केदारनाथ धाम में हेलीकॉप्टर हादसा, 7 की मौत

अहमदाबाद विमान दुर्घटना की चौंकाने वाली खबर के बाद अब उत्तराखंड के केदारनाथ धाम से एक और दुखद घटना सामने आई है। गौरीकुंड क्षेत्र के पास एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया, जिसमें सवार सभी 7 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, खराब मौसम केदारनाथ धाम हादसे की वजह बना। इस दुखद घटना के बाद उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

राज्य सरकार ने इस हादसे पर गहरा दुख जताते हुए हेली सेवाओं की सुरक्षा और संचालन को लेकर सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेली सेवाओं के लिए एक सख्त एसओपी (Standard Operating Procedure) तैयार करने को कहा है, जिसमें उड़ान से पहले हेलीकॉप्टर की तकनीकी स्थिति की पूरी जांच और मौसम की जानकारी लेना अनिवार्य होगा।

इसके अलावा सीएम धामी ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं कि तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जाए, जो हेलीकॉप्टर संचालन के सभी तकनीकी और सुरक्षा पहलुओं की गहन समीक्षा करेगी।

यह समिति न केवल नई एसओपी तैयार करेगी, बल्कि पूर्व में हुई हेली दुर्घटनाओं की भी जांच करेगी। यदि किसी भी दुर्घटना में व्यक्ति या संस्था की लापरवाही पाई गई तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह कदम न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, बल्कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचाव के लिए भी अहम माना जा रहा है। चारधाम यात्रा जैसे पवित्र और संवेदनशील अभियान में सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बन चुकी है।

हादसे की वजह बनी खराब मौसम की मार

केदारनाथ धाम में हुए दर्दनाक हेलीकॉप्टर हादसे के बाद चारधाम यात्रा को लेकर एक बड़ा कदम उठाया गया है। यूकाडा (UCADA) और डीजीसीए (DGCA) ने संयुक्त रूप से निर्णय लेते हुए चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाओं पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। यह फैसला सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

रविवार सुबह केदारनाथ धाम से गुप्तकाशी लौटते समय एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हेलीकॉप्टर आर्यन एविएशन कंपनी का था, जिसमें पायलट सहित पांच यात्री और एक बच्ची सवार थी।

जिला पर्यटन विकास अधिकारी और हेली सेवा के नोडल अधिकारी राहुल चौबे ने जानकारी दी कि घाटी में अचानक मौसम बिगड़ने के कारण पायलट ने हेलीकॉप्टर को सुरक्षित निकालने की कोशिश की, लेकिन दुर्भाग्यवश हादसा हो गया।

हादसे की जानकारी मिलते ही NDRF, SDRF, पुलिस और स्थानीय बचाव टीमें मौके पर पहुंचीं और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया गया। राहत एवं बचाव कार्य अभी भी जारी है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से धैर्य बनाए रखने और यात्रा से जुड़ी अद्यतन जानकारियों के लिए आधिकारिक सूचनाओं पर ध्यान देने की अपील की है।

मृतकों की हुई पहचान

उत्तराखंड के केदारनाथ क्षेत्र में हुए हेलीकॉप्टर हादसे में सभी सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। इस दर्दनाक दुर्घटना में जान गंवाने वालों की पहचान कर ली गई है।

मृतकों में पायलट राजवीर सिंह चौहान, बीकेटीसी के विक्रम रावत (निवासी रासी, ऊखीमठ, उम्र 45 वर्ष), उत्तर प्रदेश की विनोद देवी (66 वर्ष), तृष्टि सिंह (19 वर्ष) तथा महाराष्ट्र से राजकुमार (41 वर्ष), श्रद्धा (35 वर्ष) और मासूम बच्ची काशी (2 वर्ष) शामिल हैं। इस हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है, वहीं पीड़ित परिवारों में गहरा शोक व्याप्त है।

उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर हादसों की कड़ी जारी

उत्तराखंड में हाल के वर्षों में लगातार हेलीकॉप्टर दुर्घटनाएं सामने आ रही हैं, जो चिंता का विषय बनती जा रही हैं। इससे पहले, 8 मई को उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री धाम की ओर जा रहा एक हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी।

इसके कुछ ही दिन बाद, 17 मई को केदारनाथ में एक एयर एंबुलेंस हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। हादसे के वक्त हेलीकॉप्टर में पायलट, डॉक्टर और नर्स मौजूद थे, लेकिन सौभाग्यवश तीनों ही सुरक्षित बच गए।

इसके बाद 7 जून को केदारनाथ धाम जा रहे एक और हेलीकॉप्टर में टेकऑफ के तुरंत बाद तकनीकी खराबी आ गई, जिसके चलते उसे सड़क पर आपात लैंडिंग करनी पड़ी। इस लैंडिंग में पायलट को गंभीर चोटें आईं, हालांकि हेलीकॉप्टर में मौजूद पांचों श्रद्धालु सुरक्षित बच गए।

ये घटनाएं न सिर्फ तीर्थयात्रियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर सेवाओं की निगरानी और तकनीकी जांच की गंभीर आवश्यकता को भी दर्शाती हैं।

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pic credit- GROK 

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