भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कई नेताओं के बगावती स्वर सुनाई दे रहे हैं। इनसे सत्ता और संगठन से जुड़े लोग संवाद कर रहे हैं, मगर राज्य के कई दिग्गज नेताओं ने मौन साध रखा है। राज्य में भाजपा और कांग्रेस (Congress) से जुड़े तमाम नेताओं को छह मई का इंतजार है क्योंकि इस दिन पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी (Kailash Joshi) के बेटे और पूर्व मंत्री दीपक जोशी (Deepak Joshi) कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। जोशी से भाजपा के संगठन प्रमुख विष्णु दत्त शर्मा चर्चा की और यह माना जा रहा है कि संगठन उन्हें कांग्रेस में जाने से रोकने में सफल होगा मगर अभी तक स्थितियां उलझी हुई हैं। एक तरफ जहां जोशी पार्टी के सामने मुसीबत बने हुए हैं तो वहीं एक अन्य नेता भंवर सिंह शेखावत (Bhanwar Singh Shekhawat) भी बगावत के मूड में नजर आ रहे हैं, इसके अलावा वरिष्ठ नेता और कवि सत्यनारायण सत्तन का भी एक बयान आया है जो उनकी नाराजगी जाहिर करने वाला है।
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शेखावत और सत्तन पार्टी को छोड़ तो नहीं रहे हैं, मगर उनके बयान मुसीबत बढ़ाने वाले तो हैं। दोनों ही नेताओं से संवाद की कोशिशें चल रही हैं। राज्य में उठ रहे बगावती स्वरों को शांत करने के लिए प्रदेशाध्यक्ष शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) अपने स्तर पर कोशिश कर रहे हैं, मगर राज्य के अन्य बड़े नेता इस पूरे मसले पर मौन साधे हुए हैं। जो भी बगावती स्वर सुनाई दे रहे हैं। वह राज्य के दिग्गज नेताओं के करीबी और समर्थक के तौर पर पहचाने जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कई बड़े नेता सत्ता और संगठन में पर्याप्त हिस्सेदारी न मिलने से नाराज हैं, मगर अब तक उन्होंने कभी भी खुलकर अपनी बात सार्वजनिक तौर पर नहीं कहीं, अगर कहीं भी तो पार्टी के मंच पर अपनी नाराजगी जताई। अचानक यह सब यूं ही नहीं सुनाई दे रहे हैं, बल्कि इसके पीछे भी कई बड़े नेताओं का हाथ नजर आ रहा है। यह वही नेता हैं जो आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में अपनी हैसियत तो बढ़ाना चाहते ही हैं साथ ही अपने समर्थकों को टिकट दिलाने की भी उनकी रणनीति का यह हिस्सा है। (आईएएनएस)