चित्रकूट। देश में बुंदेलखंड की पहचान जलसंकट वाले इलाके के तौर पर है, इसकी वजह यहां के जलस्त्रोतों का लगातार सिकुड़ना रहा है। नदियों की धारा धीमी पड़ने और जल संरचनाओं पर हुए कब्जों ने कभी पानीदार रहे इस इलाके केा जलसंकट ग्रस्त क्षेत्र में बदल दिया। नई पीढ़ी जल संरक्षण, नदियों के संरक्षण से लेकर जलस्त्रोतों के महत्व को जाने इसके लिए मंदाकिनी नदी (Mandakini River) के इलाके में नदी पाठशाला शुरू करने की तैयारी चल रही है। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बीच फैले चित्रकूट (Chitrakoot) से प्रवाहित होने वाली मंदाकिनी नदी का धार्मिक महत्व है क्योंकि इस नदी का भगवान राम (Lord Ram) से नाता है, मगर इस नदी का हाल भी दीगर नदियों जैसा है। इस नदी का जगह-जगह प्रवाह धीमा पड़ा है तो गंदगी भी कम नहीं है।
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चित्रकूट विंध्याचल पर्वत श्रेणी पर अवस्थित है इसी पर्वत श्रृंखला में स्थित महर्षि अत्रि एवं सती अनसूइया आश्रम (Anasuiya Ashram) है, यही मंदाकिनी नदी का उद्गम स्थल है। कुछ लोग मंदाकिनी का उद्गम स्थल सबरी जलप्रपात से भी मानते हैं। कहा जाता है कि सती अनुसुइया ने अपने तपोबल से मंदाकिनी को उत्पन्न किया था। चित्रकूट के धार्मिक महत्व की वजह है, मंदाकिनी नदी के आसपास भगवान राम ने वनवास काल में 11 वर्ष का कालखंड व्यतीत किया था। यह नदी लगभग 50 किलोमीटर की यात्रा तय करती है और युमना (Yamuna) में मिलती है, यह नदी लाखों किसानों के सिंचाई हेतु जल प्रदान करती है, तो वहीं करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। साथ ही धार्मिक सांस्कृतिक पर्यटको को आकर्षित करती है। बड़े-बड़े पर्यटन के केंद्र मंदाकिनी नदी किनारे रामघाट, जानकीकुंड, स्फटिक शिला, सती अनसूइया आश्रम, पंच प्रयाग, चक्की घाट,ताठी घाट आदि स्थित है।
पिछले दिनों मंदाकिनी गंगा दर्शन यात्रा इलाहाबाद विश्वविद्यालय (Yatra Allahabad University) के शोध छात्र रामबाबू तिवारी (Rambabu Tiwari) की अगुवाई में निकाली गई थी, इसका मकसद नदी की अविरलता और निर्मलता केा बनाए रखने के लिए जनभागीदारी केा बढ़ाना रहा। इस अभियान में स्थानीय लोगों ने न केवल हिस्सेदारी निभाई बल्कि इस दिषा में प्रयास भी किए। समाज में नदियों के प्रति जारुकता आए, नई पीढ़ी इसके महत्व केा जान सके इस मकसद से नदी की पाठशाला की शुरूआत होने जा रही है। नदी की पाठशाला की शुरुआत मई माह से होगी, जिसमें प्रत्येक तीन माह में एक बैच 10 विद्यार्थियों का होगा, तीन दिवसीय आवासीय पाठशाला चलाई जाएगी, जिसमें नदी को जानने समझने के लिए 10 विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा इन्हीं 10 विद्यार्थियों को मंदाकिनी प्रहरी बनाया जाएगा।
इसके अलावा नदी के किनारे के घाट पर सप्ताहिक श्रम साधना की जा रही है। प्रत्येक पखवाड़े में रामघाट (Ramghat) मां मंदाकिनी आरती स्थल में मंदाकिनी नदी की निर्मलता हेतु शपथ भी दिलाई जाती है। ग्राम पंचायत हिनौता, सगवारा में प्राकृतिक खेती की शुरूआत भी की गई है ताकि नदी के किनारे पेस्टिसाइड ऑफ फर्टिलाइजर (Pesticide of Fertilizer) का प्रयोग कम हो सके। नदी से जन को जोड़ने के लिए गांव-गांव में नदी संवाद किए जा रहे हैं। (आईएएनएस)