मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, एनसीपी का मामला अभी सुलझा नहीं है। पार्टी सुप्रीमो शरद पवार के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के अगले दिन बुधवार को दिन भर पार्टी नेताओं की बैठकों का दौर चलता रहा। कई विधायक और नेता शरद पवार से उनके घर पर मिले। बाद में नए अध्यक्ष का नाम तय करने के लिए बनाई गई 15 सदस्यों की कमेटी की बैठक यशवंत राव चव्हाण सेंटर में हुई। हालांकि बाद में प्रफुल्ल पटेल ने बताया कि नए अध्यक्ष के नाम पर विचार नहीं हुआ है। अभी शरद पवार को मनाने का प्रयास हो रहा है।
दूसरी ओर शरद पवार ने कहा कि पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का बहुत दबाव है इस्तीफा वापस लेने का। इस बीच जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से बीच का रास्ता निकालने का प्रयास हो रहा है। बताया जा रहा है कि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है और अजित पवार को अगले चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया जा सकता है। हालांकि यह बहुत पेचिदा मामला हो जाएगा क्योंकि उद्धव ठाकरे भी सीएम पद के दावेदार हैं। इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा कि सुप्रिया सुले को राष्ट्रीय और अजित पवार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए।
बहरहाल, शरद पवार के इस्तीफे के अगले दिन बुधवार को जितेंद्र आव्हाड ने भी महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया। विधायक अनिल पाटिल ने भी अपना त्यागपत्र शरद पवार को भेजा है। गौरतलब है कि 82 साल के एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को इस्तीफे का ऐलान किया था। उसके बाद से कार्यकर्ता और पार्टी नेता उन पर दबाव बनाए हुए हैं। इस बीच बुधवार की आज सुबह पवार ने कहा है कि इस्तीफा वापस लेने के लिए उन पर भारी दबाव है।
उर यशवंत राव चव्हाण सेंटर में 15 सदस्यों की कमेटी की लगभग दिन भर बैठक हुई। बताया जा रहा है कि अगर शरद पवार इस्तीफा वापस लेने को तैयार नहीं होते हैं तो अजित पवार, सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल में से किसी का नाम तय होगा। हालांकि पार्टी के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल ने कहा- नए अध्यक्ष को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है। मैं अध्यक्ष पद के लिए तैयार नहीं हूं। मुझे पार्टी ने पहले ही इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है। मैं मुंगेरी लाल के हसीन सपने नहीं देखता। उन्होंने कहा- पहले तो शरद पवार को मनाने का दौर चल रहा है। उसके बाद जो होगा तय हो जाएगा। पार्टी में कोई गुटबाजी और नाराज़गी नहीं है। महा विकास आघाड़ी की पुणे की बज्रमुठ सभा आगे बढ़ाए जाना और शरद पवार के इस्तीफे का कोई संबंध नहीं है। ये एक तारीख को महा विकास आघाड़ी की सभा में मिलकर तय हुआ था।