नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के बाद अब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर के हालात की समीक्षा की। मणिपुर में एक साल से ज्यादा समय से चल रही हिंसा और राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गृह मंत्रालय में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और खुफिया ब्यूरो के प्रमुख तपन डेका सहित कई वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इससे एक दिन पहले रविवार को जम्मू कश्मीर को लेकर इसी तरह की एक अहम बैठक गृह मंत्रालय में हुई थी। गौरतलब है कि कश्मीर में पिछले दिनों एक के बाद एक चार आतंकवादी हमले हुए।
बहरहाल, सोमवार को मणिपुर पर हुई बैठक में राज्य के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, मुख्य सचिव विनीत जोशी, पुलिस महानिदेशक, डीजीपी राजीव सिंह और असम राइफल्स के डीजी प्रदीप चंद्रन नायर भी शामिल हुए। बताया जा रहा है कि राज्य में जातीय हिंसा खत्म कर शांति बहाली और शरणार्थियों की वापसी के उपायों पर बैठक में चर्चा हुई।
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के एक दिन बाद 10 जून को राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था- मणिपुर एक साल से शांति की राह देख रहा है। बीते 10 साल से राज्य में शांति थी, लेकिन अचानक से वहां गन कल्चर बढ़ गया। जरूरी है कि इस समस्या को प्राथमिकता से सुलझाया जाए।
मणिपुर के हालात पर हुई इस उच्च स्तरीय बैठक से एक दिन पहले मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि राज्यपाल ने शाह से मुलाकात के दौरान मणिपुर की मौजूदा स्थितियों के बारे में जानकारी दी थी। गौरतलब है कि मणिपुर में पिछले साल तीन मई से जातीय हिंसा जारी है। इस हिंसा में करीब दो सौ लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।