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मणिपुर हिंसा से 50 हजार विस्थापित लोग

मणिपुर हिंसा से 50 हजार विस्थापित लोग

इंफाल। मणिपुर में जातीय हिंसा के कारण विस्थापित हुए 50,000 से अधिक लोग वर्तमान में राज्य भर के 349 राहत शिविरों में रह रहे हैं। राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री डॉ आरके रंजन ने रविवार को कहा कि सभी जिलों में विशेष रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अभियान के दौरान 53 हथियार और 39 बम बरामद किए गए हैं।

रंजन राज्य सरकार के प्रवक्ता भी हैं। उन्होंने कहा कि जातीय संघर्ष के कारण प्रभावित हुए छात्रों की शिक्षा के लिए एक खाका तैयार किया गया है और इसे जल्द ही सार्वजनिक किया जाएगा। मंत्री के हवाले से एक आधिकारिक बयान में कहा गया,जातीय हिंसा से विस्थापित कुल 50,698 लोग वर्तमान में 349 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।

जिला और क्लस्टर नोडल अधिकारियों को विशेष रूप से महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के लिए खोले गए राहत केंद्रों की देखरेख करने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए एक मूल्य नियंत्रण तंत्र स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)-37 के माध्यम से विभिन्न वस्तुओं को राज्य में लाया जा रहा है।

बयान में कहा गया कि मई की शुरुआत में हिंसा भड़कने के बाद से 35,000 मीट्रिक टन निर्माण सामग्री, ईंधन और आवश्यक वस्तुओं को 2,376 ट्रकों में मणिपुर लाया गया है। रंजन ने कहा कि मौजूदा 242 बैंक शाखाओं में से कुल 198 अब चालू हैं और शेष को जल्द से जल्द चालू कर दिया जाएगा।

मई की शुरुआत में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने पर पुलिस थानों से बड़ी संख्या में हथियार लूट लिए गए थे। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दोनों ने लोगों से हथियार डालने की अपील की है। बयान में कहा गया कि कुल 990 हथियार और गोला-बारूद से जुड़ी 13,526 अन्य वस्तुएं सरकार को सौंपी गई हैं। राज्य पुलिस के सहयोग से सेना और अर्धसैनिक बल राज्य में शांति बहाल करने के लिए तलाशी अभियान चला रहे हैं।

इस बीच, सुरक्षाबलों से छीने गए हथियारों को वापस करने के लिए इंफाल पूर्वी के एक भाजपा विधायक के घर स्थापित एक ‘ड्रॉप बॉक्स’ स्थानीय युवाओं के लिए एक लोकप्रिय आकर्षण बन गया है, जिन्होंने स्वचालित राइफलों सहित 130 हथियार जमा करने के लिए इस सुविधा का लाभ उठाया है जिसमें पहचान उजागर करने की जरूरत नहीं है। (भाषा)

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