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जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर सियासी हलचल तेज

New Delhi, Mar 27 (ANI): Rajya Sabha Chairman Jagdeep Dhankhar conducts the proceedings of the house during the Budget session of Parliament, in New Delhi on Thursday. (ANI Photo/Sansad TV)

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे ‘और भी गहरी वजहें’ होने के कांग्रेस के आरोप पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उसे उस समय की याद दिलाई जब विपक्ष की ओर से पक्षपातपूर्ण आचरण का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने का प्रस्ताव लाया गया था। 

मानसून सत्र के पहले दिन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से सियासी हलचल मच गई और अटकलों और राजनीतिक प्रतिक्रियाओं की लहर दौड़ गई।

कांग्रेस ने तुरंत दावा किया कि उनके इस्तीफे में बताए गए स्वास्थ्य संबंधी कारण पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को धनखड़ के इस्तीफे को राजनीतिक रंग देने से बचना चाहिए और उन्होंने इस पुरानी पार्टी पर सिनेमाई कटाक्ष भी किया तथा इसकी तुलना बॉलीवुड में अभिनेता कादर खान की भूमिका से की।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे को ‘चौंकाने वाला और समझ से परे’ बताया और यह भी कहा कि उपराष्ट्रपति ने सरकार और विपक्ष दोनों को समान रूप से निशाने पर लिया।

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उन्होंने आगे दावा किया कि उनके इस्तीफे के पीछे कहीं अधिक गंभीर कारण हैं, और धनखड़ की प्रशंसा करते हुए कहा वह मानदंडों, शिष्टाचार और प्रोटोकॉल के प्रति अडिग थे, और उनका मानना था कि उनके दोनों ही पदों पर रहते हुए इनकी लगातार अवहेलना की जा रही थी।

हालांकि, जगदीप धनखड़ की प्रशंसा इंडिया ब्लॉक की सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) को रास नहीं आई। एसएस (यूबीटी) की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने तुरंत कांग्रेस नेता के ‘अस्पष्ट’ दावों की तथ्य-जांच की और उन्हें सही ठहराने की कोशिश की।

नाम लिए बिना उन्होंने कांग्रेस नेता के इस दावे पर आपत्ति जताई कि “धनखड़ ने सरकार और विपक्ष दोनों को समान रूप से आड़े हाथों लिया” और कहा कि विपक्ष को अध्यक्ष के पक्षपातपूर्ण आचरण के कारण ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर मजबूर होना पड़ा।

उन्होंने कहा कम से कम हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह क्षण हमारे लिए आश्चर्य की बात है।

जगदीप धनखड़ ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) का हवाला देते हुए स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों और चिकित्सा सलाह का पालन करने की आवश्यकता बताई।

मानसून सत्र के पहले ही दिन उनके इस्तीफे से राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई और विपक्ष ने इसे सरकार को घेरने के अवसर के रूप में देखा।

Pic Credit : ANI

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