बात बतंगड़

जाखड़ के बाद सिद्धू की चिंता बढ़ी

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जाखड़ के बाद सिद्धू की चिंता बढ़ी
कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर से पार्टी के हित में क्या बाहर आ पाता है यह तो रही इंतज़ार की बात पर पाँच दशक से पार्टी की सेवा कर रहे पंजाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड ज़रूर बाहर आ गए। अब जाखड का मामला तो रहा कांग्रेस आलाकमान के पाले में पर चिंता अपने नवजोत सिंह सिद्धू को हो रही । और हो भी क्यूं नहीं आख़िर राजनीति के भविष्य की बात जो है। पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान सिद्धू ने भी भी खूब तेबर दिखाए थे। कभी खुद को लेकर तो कभी तबके मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को लेकर। या यूँ कहिए कि जब पार्टी की चिंता करने का समय था तब तो पार्टी की गोबी खोदते रहे अपने सिद्धू और अब पार्टी की चिंता में जाखड की नाराज़गी को टेबल पर बैठकर सुलझाने की बात कर रहे हैं। लोग तो कहते हैं पंजाब में सिद्धू ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। वरना में सत्ता में वापिसी करना उसके लिए कोई ज़्यादा मुश्किल भी नहीं।और ऐसा तब जबकि दलित चन्नी के साथ उखड़े रहने का भरोसा दे चुके हों। जाखड की बात तो छोड़िए दिल्ली के कांग्रेसियों को तो जल्दी ही सिद्धू भी पार्टी से बाहर होते दिख रहे हैं। यह अलग बात है कि सिद्धू के साथ पंजाब का जट सिख वोट हैं तो जाखड भी कोई कम दम नहीं रखते पंजाब के किसानों के बीच। लेकिन बात अगर अफ़सर की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी से बचने की कहावत से जुड़ती है तो पार्टी जाखड को लेकर चिंता भी क्या करेगी। अब जाखड पार्टी के लिए कितने महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं इसका फ़ैसला तो शिविर के समापन के बाद ही संभव होगा पर सिद्धू पार्टी के लिए कितने अहम साबित हो सकते इस पर भी पार्टी विचार करती दिख रही है।
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