Kiradu Mandir : राजस्थान की रेतीली धरती में कई रहस्यों की परतें दबी हुई हैं, जिनमें से एक है किराड़ू। यह प्राचीन और रहस्यमय स्थान पश्चिम राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। किराड़ू को “राजस्थान का खजुराहो” कहा जाता है, क्योंकि यहां की अद्भुत वास्तुकला और मूर्तिशिल्प खजुराहो की तरह ही उत्कृष्ट हैं। लेकिन, किराड़ू को वह प्रसिद्धि नहीं मिल पाई, क्योंकि यह स्थान पिछले 900 वर्षों से वीरान पड़ा हुआ है।
किराड़ू मंदिर बाड़मेर जिले के हाथमा गांव में स्थित है और इसका निर्माण लगभग 900 साल पहले हुआ था। यह मंदिर समूह स्थापत्य कला का एक अनोखा उदाहरण है, लेकिन इसके साथ एक रहस्यमय कथा भी जुड़ी हुई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि शाम ढलने के बाद इस मंदिर के पास जाना बेहद खतरनाक है। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति सूर्यास्त के बाद मंदिर के नजदीक गया, तो वह पत्थर की मूर्ति बन जाएगा। हालांकि, आज तक किसी ने इस बात की सत्यता की पुष्टि करने की हिम्मत नहीं की है, और यह रहस्य अब भी बना हुआ है।
किराड़ू मंदिर की इसी रहस्यमयी कहानी और वीरान वातावरण ने इसे राजस्थान के सबसे डरावने और रहस्यमय स्थानों में से एक बना दिया है।
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साधु के श्राप से सदियों से है वीरान
स्थानीय लोग बताते हैं कि किराड़ू मंदिर पर एक साधु का श्राप है, और इसी कारण से यह स्थान वीरान पड़ा है। एक किवदंती के अनुसार, सदियों पहले एक साधु अपने शिष्यों के साथ किराड़ू में आए थे। शिष्य कुछ समय तक यहां रुके, लेकिन फिर साधु देश भ्रमण पर निकल गए। इस दौरान उनके शिष्य गंभीर रूप से बीमार हो गए। गांव के लोगों ने उनकी सहायता करने से इंकार कर दिया, लेकिन एक दयालु कुम्हारिन ने शिष्यों की देखभाल की। (Kiradu Mandir)
जब साधु वापस लौटे और अपने शिष्यों को इस हालत में देखा, तो उन्हें बहुत दुःख हुआ। क्रोधित होकर, साधु ने गांव के लोगों को श्राप दिया कि जहां मानवता नहीं है, वहां मनुष्यों का भी वास नहीं होना चाहिए। उनके श्राप के प्रभाव से गांव के सभी लोग पत्थर के बन गए। हालांकि, साधु ने कुम्हारिन को श्राप से बचने के लिए कहा कि वह गांव छोड़कर चली जाए, लेकिन उसे शाम ढलने से पहले ही जाना होगा। साथ ही, साधु ने उसे चेतावनी दी कि वह पीछे मुड़कर न देखे, अन्यथा वह भी पत्थर की मूर्ति बन जाएगी।
कुम्हारिन ने साधु की बात मानी और वहां से चली गई, लेकिन रास्ते में वह यह परखने के लिए कि साधु का श्राप सच है या नहीं, पीछे मुड़कर देखने लगी। उसी क्षण वह भी पत्थर की मूर्ति बन गई। इसी श्राप और रहस्य के कारण, आज भी किराड़ू में सूर्यास्त के बाद कोई नहीं रुकता, और यह स्थान सदियों से वीरान पड़ा है। किराड़ू में सूर्यास्त के बाद कोई भी रूकता है तो वह भी पत्थर बन जाता है.
शाम में रूकता है तो बन जाता है पत्थर
कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति शाम के बाद किराड़ू में रुकता है, वह पत्थर का बन जाता है। यही कारण है कि यहां आने वाला हर व्यक्ति सूर्यास्त से पहले ही इस स्थान को छोड़ देता है। इस रहस्य और डरावनी कथा के चलते किराड़ू मंदिर लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। हालांकि, यह श्राप सच्चाई है या केवल कल्पना, यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन बंजर और वीरान जगह पर स्थित होने के कारण यह स्थान स्वाभाविक रूप से भयावह प्रतीत होता है। यहां तक कि दिन के समय भी बहुत कम लोग दिखाई देते हैं, और शाम के बाद यहां रुकने की कोई हिम्मत नहीं करता। (Kiradu Mandir)
किराड़ू का मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है और अपनी अद्भुत स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले के हाथमा गांव में स्थित है, जो बाड़मेर से 43 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर समूह में पांच मंदिर हैं, जिनमें से विष्णु मंदिर और सोमेश्वर मंदिर अभी भी अच्छी स्थिति में हैं, जबकि बाकी तीन मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। इन मंदिरों की कलात्मक बनावट देखने वालों को मोहित कर लेती है।
इतिहास के अनुसार, किराड़ू को पहले ‘किराट कूप’ के नाम से जाना जाता था, और इसका निर्माण 1161 ई.पूर्व में हुआ था। इतिहासकारों के मुताबिक, इन मंदिरों का निर्माण परमार वंश के राजा दुलशालराज और उनके वंशजों ने कराया था। मंदिर परिसर में विक्रम शताब्दी 12 के तीन शिलालेख भी मौजूद हैं, जो इस स्थान की प्राचीनता और महत्व को दर्शाते हैं।