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जयपुर के विद्यालयों में महिला स्वच्छता को लेकर प्रोजेक्ट किशोरी का आयोजन…

Prajna Foundation

Prajna Foundation : प्रजना फाउंडेशन और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के संयुक्त प्रयास से राजस्थान के स्कूलों में मासिक धर्म स्वच्छता पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट किशोरी के तहत कार्यशालाओं का आयोजन लगातार जारी है। इस मंगलवार को सांगानेर के सांझरिया सांगानेर स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय और बेगस के महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में विशेष किशोरी क्लब का गठन किया गया और स्वच्छता किट्स का वितरण किया गया। ( Prajna Foundation)

इस परियोजना की शुरुआत राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी द्वारा 17 अगस्त को जयपुर में की गई थी। इस पहल का उद्देश्य राज्यभर में किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरूक करना और इस विषय पर संवाद सत्रों का आयोजन करना है।

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किशोरी क्लब की स्थापना और जागरूकता कार्यक्रम

प्रजना फाउंडेशन की प्रवक्ता, विशिष्टा सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट किशोरी के तहत आयोजित कार्यक्रमों में बालिकाओं को मासिक धर्म स्वच्छता के महत्व पर जानकारी दी जा रही है। सांगानेर के विद्यालय में प्रजना फाउंडेशन की संस्थापक प्रीति शर्मा ने इस विषय पर जानकारी साझा की और सभी बालिकाओं को हाईजीन और सेफ्टी किट्स प्रदान किए। इस मौके पर विभिन्न जानकारीपूर्ण बुकलेट्स और पत्रक भी वितरित किए गए। कार्यक्रम के अंतर्गत किशोरी क्लब का भी गठन किया गया जिसमें प्रधानाचार्य किशन सिंह चौधरी और अध्यापिका नम्रता नागर, कल्पना शर्मा, रेनु राजौरिया, सपना गर्ग, अरुण कच्छवाहा, रीता सिंह आदि मौजूद रहे।

इसी प्रकार, बेगस के महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रीति शर्मा और विशिष्टा सिंह ने छात्राओं के सवालों के उत्तर दिए और स्वच्छता के प्रति उनकी जिज्ञासाओं को शांत किया। उन्होंने बताया कि प्रजना फाउंडेशन की ओर से स्वच्छता किट्स का वितरण और किशोरी क्लब की स्थापना के पीछे का मुख्य उद्देश्य मासिक धर्म के प्रति सामाजिक संकोच को समाप्त करना है। प्रधानाचार्या डॉ. पूनम यादव और शिक्षिका हेमलता यादव ने प्रजना फाउंडेशन का आभार व्यक्त किया और इस आयोजन की सराहना की।

प्रोजेक्ट किशोरी का महत्व और उद्देश्य

प्रजना फाउंडेशन की संस्थापक श्रीमती प्रीति शर्मा ने बताया कि कई स्थानों पर महिलाओं और किशोरियों को मासिक धर्म स्वच्छता के लिए आवश्यक सुविधाएं और उत्पाद उपलब्ध नहीं हो पाते, जिससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस वजह से उन्हें न केवल स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, बल्कि मासिक धर्म के दौरान उन्हें सामाजिक शर्मिंदगी का भी सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी शिक्षा और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।

शर्मा ने बताया कि मासिक धर्म से जुड़ी सांस्कृतिक वर्जनाओं और मिथकों के कारण जागरूकता की कमी होती है, जिससे स्वच्छता की जरूरतों को पूरा करने में अतिरिक्त चुनौतियां उत्पन्न होती हैं।

प्रोजेक्ट किशोरी के माध्यम से मासिक धर्म स्वच्छता किट्स का वितरण और जागरूकता सत्रों का आयोजन किया जा रहा है ताकि इन बाधाओं को दूर किया जा सके और किशोरियों को इस महत्वपूर्ण समय में आवश्यक सहायता और संसाधन प्रदान किए जा सकें।

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