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इफ्तार का सीजन लौट आया है

इफ्तार

पिछले कुछ समय से इफ्तार की दावतें नहीं होती थीं। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद धीरे धीरे इफ्तार का चलन खत्म हो गया या काफी हद तक कम हो गया। एक समय था, जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी इफ्तार की दावतों में शरीक होते थे और उनके मंत्री भी जालीदार टोपी लगाकर उसमें हिस्सा लेते थे। (Iftar)

कई बरसों के बाद इस साल दिल्ली से लेकर पटना और मुंबई तक इफ्तार की धूम है। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस और दूसरी भाजपा विरोधी पार्टियां इफ्तार की दावत दे रही हैं और उन्हीं के नेता शामिल हो रहे हैं। भाजपा की इफ्तार की दावत दे रही है और उसके नेता भी खुल कर इनमें शामिल हो रहे हैं।

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इफ्तार राजनीति: भाजपा, कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों ने जमाया रंग

इसमें सबसे चर्चित इफ्तार दावत भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे की थी। इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में दी गई इस दावत में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता भी शामिल हुईं तो केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू भी शामिल हुए। इफ्तार के बाद रेखा गुप्ता ने कहा कि रमजान में राम और दिवाली में अली आता है। (Iftar)

उन्होंने भारत की सर्वधर्म समभाव वाली संस्कृति की बात कही। उधर मुंबई में भाजपा के सहयोगी अजित पवार ने इफ्तार की दावत दी और कहा कि मुस्लिम भाइयों को आंख दिखाने वालों को छोड़ेंगे नहीं। बिहार में विधानसभा के चुनाव हैं तो वहां चारों तरफ इफ्तार की धूम है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीएम आवास में दावत रखी, जिसमें भाजपा के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी सहित तमाम नेता शामिल हुए। कांग्रेस की ओर से सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने दिल्ली में इफ्तार की दावत दी, जिसमें राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हुए तो पटना में लालू प्रसाद ने दावत देकर मुस्लिम जमात में अपना समर्थन दिखाया। (Iftar)

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