नयी दिल्ली | Diwali Supreme Court Firecrackers : दिवाली के समय में पटाखों के कारण देशभऱ में होने वाले प्रदूषण पर एक बार फिर से उच्चतम न्यायालय ने कड़ा रूख कर लिया है. मामले की सुनवाई के दौरान SC ने कहा कि वह पटाखों पर प्रतिबंध लगाने के मामले पर विचार करते हुए रोजगार की आड़ में अन्य नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकता. न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की एक पीठ ने कहा कि उसकी प्राथमिकता मासूम नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करना है. पीठ ने कहा कि हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या किसी भी आदेश को लागू करवाना. पीठ ने कहा, कि कानून तो बन जाते हैं लेकिन लेकिन अंतत: इसका क्रियान्वयन होना चाहिए. हमारे आदेश को सच्ची भावना से लागू किया जाना चाहिए.
जीवन के अधिकार का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं दे सकते
Diwali Supreme Court Firecrackers : कोर्ट ने कहा कि हमें रोजगार, बेरोजगारी और नागरिक के जीवन के अधिकार के बीच संतुलन बनाना होगा. कुछ लोगों के रोजगार की आड़ में हम दूसरों को अन्य नागरिकों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दे सकते. हमारी प्राथमिकता मासूम नागरिकों के जीवन के अधिकार की रक्षा करना है. यदि हमें लगा कि यह हरित पटाखे हैं और विशेषज्ञों की समिति द्वारा इन्हें स्वीकृत किया गया है तो हम उपयुक्त आदेश पारित करेंगे.
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अधिवक्ता ने कहा लोगों की दुर्दशा पर भी ध्यान देने की जरूरत
Diwali Supreme Court Firecrackers : पटाखा निर्माता संघ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आत्माराम नाडकर्णी ने कहा कि दिवाली चार नवंबर को है. उनका कहना था कि वे चाहते हैं कि ‘पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन’ (PESO) फैसला करे. उन्होंने कहा कि सरकार को इस मामले पर फैसला करना चाहिए क्योंकि लाखों लोग बेरोजगार हैं.वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि दलील को सुना जाना चाहिए और इसे तार्किक रूप से पूर्ण भी किया जाना चाहिए, लेकिन उद्योग में काम करने वाले लाखों लोगों की दुर्दशा पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. इस मामले पर सभी विशेषज्ञों ने एक साथ आकर हरित पटाखों के मुद्दे पर सूत्रीकरण का सुझाव दिये हैं.
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