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कश्मीरी छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा सहारनपुर स्थानांतरित

कश्मीरी छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमा सहारनपुर स्थानांतरित

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) के तीन छात्रों के मुकदमे को, आगरा की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) अदालत से सहारनपुर की सीजेएम अदालत में ट्रांसफर कर दिया है। न्यायमूर्ति ओम प्रकाश त्रिपाठी (Om Prakash Tripathi) ने छात्रों द्वारा दायर एक स्थानांतरण याचिका पर आदेश पारित किया, जिनके वकील ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि आगरा जिला बार एसोसिएशन (Agra District Bar Association) ने फैसला किया है कि उसका कोई भी सदस्य आवेदकों की रक्षा नहीं करेगा। छात्रों पर 2021 में भारत (India) के खिलाफ टी20 क्रिकेट विश्व कप मैच (T20 Cricket World Cup Match) में पाकिस्तान (Pakistan) की जीत के बाद पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने का आरोप लगाया गया था। सभी छात्र आगरा के एक इंजीनियरिंग कॉलेज (Engineering College) के छात्र हैं।

आवेदकों के वकील ने यह भी प्रस्तुत किया कि छात्रों पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया था। इसलिए आगरा में मुकदमा चलने पर वे ‘असुविधाजनक’ महसूस कर रहे थे। इनायत अल्ताफ शेख (Altaf Shaikh) और अन्य द्वारा दायर स्थानांतरण आवेदन की अनुमति देते हुए, अदालत ने उपरोक्त निर्देश पारित किए, और कहा, आवेदकों के निवेदन पर विचार करते हुए तथा मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने मामला अपराध संख्या-675/2021, धारा 153ए, 505(1)(बी), 124ए (राजद्रोह) भारतीय दंड संहिता (IPC) एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66एफ के तहत वाद को स्थानांतरित करना उचित समझा। इसलिए, यह मामला, जो शुरू में आगरा जिले के पुलिस स्टेशन जगदीशपुरा (Police Station Jagdishpura) में दर्ज किया गया था, को वापस खोला जाता है।

कानून के अनुसार निपटान के लिए आगरा की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) अदालत से सहारनपुर की सीजेएम अदालत में स्थानांतरित कर दिया जाता है। तीन छात्रों इनायत अल्ताफ शेख, अरशद यूसुफ और शौकत अहमद गनाई को आगरा पुलिस ने 27 अक्टूबर को गिरफ्तार (Arrested) किया था। इसके बाद, उन्हें पिछले साल उच्च न्यायालय (High Court) ने मामले में जमानत दे दी थी। इन तीनों पर मैच के बाद व्हाट्सऐप पर कथित रूप से आपत्तिजनक मैसेज भेजने के लिए आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह) और आईपीसी की अन्य धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की 66एफ के तहत मामला दर्ज किया गया था।

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