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महाकुंभ के चाय वाले बाबा…12 वर्षों से पी रहे है केवल गर्म चाय की प्याली….

mahakumbh 2025Image Source: chatgpt

mahakumbh 2025: महाकुंभ मेले का आयोजन तीर्थनगरी प्रयागराज में रहा है। महाकुंभ मेला 12 साल में एक बार आयोजित होता है जो इसबार प्रयागराज में हो रहा है।

प्रयागराज में साधु संत, नागा बाबा और अघोरी आकर्षण का केंद्र बने हुए है। प्रयागराज में महाकुंभ मेला साधु-संतों का स्थल बना हुआ है जो अपने अद्वितीय ज्ञान, साधना और जीवनशैली से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे हैं। महाकुंभ मेले में अलग-अलग प्रकार के साधु आए है।

जिन्होने अलग-अलग तरीकों से लोगों को ध्यान आकर्षित कर रखा है। News18 की खबर के अनुसार महाकुंभ मेला 2025 में, एक साधु ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है, और यह साधु हैं जूना अखाड़े के बाबा जोगी दास, जिन्हें पूरे मेले में “चाय वाले बाबा” के नाम से जाना जा रहा है।

जूना अखाड़े के बाबा का अनोखा शौक(mahakumbh 2025)

बाबा जोगी दास का यह नाम विशेष रूप से उनकी चाय प्रेमी आदत के कारण सुर्खियों में आया है। पिछले 12 वर्षों से बाबा जोगी दास ने अपनी साधना में एक अनोखा तरीका अपनाया है – उन्होंने चाय को अपनी जीवनशैली का अहम हिस्सा बना लिया है।

उनका कहना है कि चाय ही उनकी सेहत और ऊर्जा का राज है, और यही उनका साधना का हिस्सा है। बाबा के अनुसार, चाय उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करती है और यह उनकी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है।

चाय वाले बाबा की जीवनशैली

बाबा जोगी दास का जीवन बेहद साधारण और ध्यानपूर्ण है, लेकिन उनका चाय के प्रति प्रेम और इसका महत्व उनके जीवन में एक विशेष स्थान रखता है।

वह सुबह-शाम चाय पीते हैं और इसे अपनी साधना का हिस्सा मानते हैं। उनके अनुसार, चाय उनके मन को शांति देती है और उन्हें ध्यान और साधना में एकाग्रता बनाए रखने में मदद करती है।

महाकुंभ मेले के दौरान, बाबा जोगी दास ने श्रद्धालुओं के बीच चाय का वितरण भी किया, जिससे वह और भी अधिक प्रसिद्ध हो गए।(mahakumbh 2025)

चाय वाले बाबा का आकर्षण

महाकुंभ मेला एक ऐसा स्थान है, जहां लाखों श्रद्धालु और साधु-संत इकट्ठे होते हैं। लेकिन बाबा जोगी दास का चाय प्रेम और उनकी साधना ने उन्हें इस मेले का एक अद्वितीय आकर्षण बना दिया है।

उनका यह चाय प्रेम न केवल उन्हें साधुओं के बीच एक अलग पहचान दिलाता है, बल्कि यह उनके अनुयायियों और श्रद्धालुओं के लिए एक प्रेरणा भी बनता है।

बाबा की जीवनशैली से यह संदेश मिलता है कि साधना और जीवन में सरलता के साथ संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

दिनभर में लगभग 10 लीटर चाय का सेवन(mahakumbh 2025)

बाबा जोगी दास का कहना है कि उन्होंने कभी भी सामान्य भोजन जैसे नव फलाहार या अन्न का सेवन नहीं किया। वे केवल चाय पीते हैं और यह उनकी जीवनशैली का अहम हिस्सा बन चुका है।(mahakumbh 2025)

उनका दावा है कि चाय से न केवल उनका शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मानसिक स्थिति भी बहुत बेहतर रहती है। बाबा दिन भर में लगभग 10 लीटर चाय पी जाते हैं, और यह उनका दैनिक अनुष्ठान है। वे कहते हैं कि “हमारे लिए चाय ही जीवन है।”

बाबा जोगी दास के अनुसार, चाय पीने से न केवल शारीरिक ऊर्जा मिलती है, बल्कि मानसिक शांति भी प्राप्त होती है। वे बताते हैं कि चाय में दूध, चीनी और जल तीनों होते हैं, जिससे शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिलती है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

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बाबा का मानना है कि चाय में जल का विशेष महत्व है, क्योंकि जल न केवल शरीर के भीतर की शुद्धता को बनाए रखता है, बल्कि यह पूरे शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।

दूध का मिलाना शरीर को ताकत और पोषण देता है, जबकि चीनी चाय को स्वादिष्ट बनाती है और मानसिक ताजगी लाती है।

उनकी जीवनशैली चाय के प्रति उनकी गहरी आस्था को दर्शाती है, और उन्होंने इसे अपनी दिनचर्या का अभिन्न हिस्सा बना लिया है।(mahakumbh 2025)

उनका कहना है कि चाय उनके लिए किसी औषधि से कम नहीं है, और इसे पीकर वे दिनभर तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करते हैं।

उनके अनुयायी भी उनके इस रहन-सहन को अपनाकर जीवन में संतुलन और ऊर्जा की प्राप्ति की कोशिश करते हैं।

बाबा जोगी दास का यह दृष्टिकोण यह भी दर्शाता है कि एक साधारण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए व्यक्ति को अधिक जटिलता की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि उसे अपनी दिनचर्या में कुछ सरल आदतों को शामिल करके भी बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है।

चाय से बेहतर कोई दूसरा साधन नहीं…

बाबा का कहना है कि बचपन से ही उनका रुझान संतों की सेवा करने की ओर था, और महादेव की कृपा से उन्हें यह सेवा करने का अवसर मिला।(mahakumbh 2025)

उन्होंने हमेशा यह चाहा कि वह संतों की सेवा करें और उनके लिए कुछ विशेष कार्य करें जो उनके जीवन को बेहतर बना सके।

बाबा का एक विशेष उद्देश्य था कि वह संतों को चाय पिलाने का कार्य करें, क्योंकि वह मानते थे कि संतों के लिए चाय से बेहतर कोई दूसरा साधन नहीं है।

उनकी दृष्टि में चाय एक आध्यात्मिक साधना का रूप थी, जिससे शरीर और मन दोनों को शांति और ऊर्जा मिलती है।

चाय पीने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है, बल्कि मानसिक शांति भी प्राप्त होती है, जो संतों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।(mahakumbh 2025)

बाबा का यह मानना था कि चाय एक साधारण लेकिन प्रभावी तरीका है जिससे किसी भी व्यक्ति को ऊर्जा और ताजगी मिल सकती है।

संतों के लिए, जो ध्यान और साधना में व्यस्त रहते हैं, चाय से मिलने वाली मानसिक शांति और संतुष्टि उन्हें और भी गहरे ध्यान में लाने में मदद करती है।

चाय पीने से खुशी मिलती(mahakumbh 2025)

बाबा ने अपने जीवन को संतों की सेवा और चाय वितरण के लिए समर्पित किया, क्योंकि उन्हें यह सेवा न केवल संतों के लिए, बल्कि खुद के लिए भी बहुत संतोषजनक लगी।

उनका मानना था कि इस सेवा से वह आत्मिक शांति और आंतरिक खुशी प्राप्त करते हैं, और यही उनकी जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है।(mahakumbh 2025)

बाबा का कहना था कि “हम चाय पीते हैं क्योंकि इससे खुशी मिलती है, और खुशी से ही हम स्वस्थ रहते हैं।” उनके अनुसार, खुशी न केवल मानसिक स्थिति को सुधारती है, बल्कि यह शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाती है।

जब एक व्यक्ति खुश रहता है, तो उसका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों बेहतर होते हैं, और वह अपनी दिनचर्या में संतुलन बनाए रख सकता है।(mahakumbh 2025)

इसलिए बाबा ने अपनी जीवनशैली में चाय को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है, और उन्हें विश्वास है कि संतों के लिए चाय ही सबसे उत्तम साधन है, जो उन्हें न केवल शारीरिक बल, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है।

चाय पीने से शरीर में ऊर्जा का संचार

बाबा जोगी दास ने यह भी बताया कि जब वे चाय पीते हैं, तो उनका शरीर और मन दोनों सक्रिय रहते हैं।

वह कहते हैं- मैंने देखा है कि चाय पीने के बाद शरीर में एक प्रकार की ऊर्जा का संचार होता है, जो मुझे पूरे दिन के लिए सक्रिय रखता है।

बाबा का यह अनुभव उनकी जीवनशैली और अनुशासन को दर्शाता है, क्योंकि चाय केवल एक सामान्य पेय नहीं, बल्कि उनके लिए ऊर्जा का स्रोत बन चुकी है।(mahakumbh 2025)

वह मानते हैं कि चाय पीने से न केवल शारीरिक सक्रियता बनी रहती है, बल्कि मानसिक रूप से भी ताजगी और स्पष्टता आती है, जिससे वे पूरे दिन अपने कार्यों में अधिक केंद्रित और सक्रिय रहते हैं।

इसके अलावा, बाबा जोगी दास न केवल चाय के पियक्के हैं, बल्कि योग के प्रति भी उनकी गहरी श्रद्धा है। उन्होंने बताया कि नियमित योग साधना करने से ही शरीर और मस्तिष्क दोनों स्वस्थ रहते हैं।

उनका मानना है कि योग करने से व्यक्ति न केवल शारीरिक रूप से फिट रहता है, बल्कि मानसिक रूप से भी शांत रहता है।(mahakumbh 2025)

योग साधना से शरीर, मन और आत्मा को संतुलन मिलता है, और यह व्यक्ति को आंतरिक शांति और ऊर्जा प्रदान करता है।

चाय से मानसिक और आत्मिक शांति(mahakumbh 2025)

बाबा जोगी दास का जीवन योग और चाय के संतुलन का एक आदर्श उदाहरण है, क्योंकि दोनों ही उनके लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का प्रमुख हिस्सा हैं।(mahakumbh 2025)

बाबा ने लोगों को सलाह दी है कि वे रोज़ 20-25 मिनट योग करें, ताकि वे अपने शरीर का ख्याल रख सकें और जीवन में सुख-शांति का अनुभव कर सकें।

उनका कहना है कि योग के छोटे-छोटे अभ्यास से शरीर में लचीलापन और शक्ति आती है, जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना करना आसान हो जाता है।

बाबा का यह दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि यदि व्यक्ति अपने जीवन में साधारण चीजों को सही तरीके से अपनाए, जैसे योग और चाय, तो वह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्राप्त कर सकता है।

इस प्रकार, बाबा जोगी दास ने जीवन को साधारण और प्रामाणिक तरीकों से जीने का एक सरल लेकिन प्रभावी मार्ग प्रस्तुत किया है।(source-news18)

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By NI Desk

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