Mahakumbh : महाकुंभ में अमृत स्नान का विशेष महत्व माना गया है और इसे हिन्दू धर्म के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण पर्वों में से एक माना जाता है।
इसके अनुसार, महाकुंभ के दौरान अमृत स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है।
यह एक ऐसा अवसर है, जब लोग अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए तीर्थ स्थलों पर पहुंचकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। इस दौरान, प्रत्येक व्यक्ति अपने पुण्य के भाग्य को जागृत करने के लिए भगवान के आशीर्वाद की कामना करता है।
इस वर्ष, महाकुंभ का आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बसंत पंचमी के साथ संयोग कर रहा है। बसंत पंचमी, जिसे विद्या की देवी मां सरस्वती के पूजन का दिन माना जाता है, इस पर्व का माहात्म्य और बढ़ा देता है।
इस दिन लोग ज्ञान और शिक्षा के आशीर्वाद के लिए मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं। महाकुंभ के साथ बसंत पंचमी का यह संगम न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत पावन है।
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तीर्थराज प्रयाग में इस समय भव्य और दिव्य महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। यहां पर साधु संतों और श्रद्धालुओं का ताता लगा हुआ है।
साधु संतों की उपस्थिति के साथ-साथ, लाखों श्रद्धालु इस पवित्र अवसर पर अमृत स्नान करने के लिए हर साल की तरह अपनी आस्था और भक्ति के साथ संगम तट पर एकत्रित हो रहे हैं।(Mahakumbh)
इस महाकुंभ में पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर हुआ था, जबकि दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन होने वाला है।
महाकुंभ के इन विशेष दिनों में लोग अपने जीवन के सभी संकटों से मुक्ति के लिए आस्था और श्रद्धा के साथ पवित्र जल में स्नान करते हैं। इसे एक अद्भुत अनुभव और आध्यात्मिक उन्नति के रूप में देखा जाता है।
महाकुंभ के दौरान यहां होने वाले आयोजन और संस्कृतियों का यह अनोखा संगम दुनिया भर में एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मनाया जाता है।
कब होगा तीसरा अमृत स्नान (Mahakumbh)
महाकुंभ में तीसरा अमृत स्नान बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, और यह विशेष रूप से बसंत पंचमी के दिन आयोजित किया जाएगा।
महाकुंभ के इन अमृत स्नानों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक होता है, और यह स्नान हर श्रद्धालु के लिए आत्मा की शुद्धि और पापों के नाश का माध्यम बनता है।
अब हम जानते हैं कि बसंत पंचमी कब है और इस दिन अमृत स्नान का शुभ मुहूर्त क्या होगा। बसंत पंचमी माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है।
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9.16 मिनट से आरंभ होगी और इसका समापन 3 फरवरी को सुबह 6.54 मिनट तक होगा। इस हिसाब से, बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी को मनाया जाएगा।
बसंत पंचमी का दिन विशेष रूप से विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन भक्तगण मां सरस्वती से ज्ञान, बुद्धि और कला में सफलता की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
बसंत पंचमी के दिन शाही स्नान
वहीं महाकुंभ में बसंत पंचमी का अवसर और भी विशेष है, क्योंकि यह दिन अमृत स्नान के लिए भी अत्यंत पवित्र माना जाता है।(Mahakumbh)
इस दिन, विशेष रूप से शुभ मुहूर्त में अमृत स्नान का आयोजन किया जाएगा, जो हजारों श्रद्धालुओं के लिए पुण्य लाभ प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।
इस समय संगम में स्नान करने से न केवल धार्मिक फल की प्राप्ति होती है, बल्कि यह जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि का संचार करता है।
महाकुंभ के इस पवित्र अवसर पर, विशेष रूप से बसंत पंचमी के दिन, लाखों लोग इस महान अवसर का लाभ उठाने के लिए संगम में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं।
इस दिन का उपवास भी बहुत महत्व रखता है, और श्रद्धालु इस दिन उपवासी रहकर अपनी आस्था और भक्ति को प्रदर्शित करते हैं।
यह अवसर न केवल एक धार्मिक पर्व होता है, बल्कि यह प्रकृति के नए जीवन और ऊर्जा के आगमन का प्रतीक भी है।
बसंत पंचमी पर अमृत स्नान का महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि यह पर्व न केवल आत्मा की शुद्धि करता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का भी अवसर प्रदान करता है।
बसंत पंचमी का स्नान मुहूर्त(Mahakumbh)
बसंत पंचमी का जो अमृत स्नान महाकुंभ में किया जाता है, वह अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना जाता है।
इस वर्ष, बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान 3 फरवरी को होगा, और यह दिन विशेष रूप से महत्व रखता है क्योंकि यह पर्व ज्ञान की देवी मां सरस्वती के पूजन का भी दिन होता है।
इस दिन लोग ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा के लिए मां सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं।
अमृत स्नान के लिए ब्रह्म मुहूर्त अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण होता है, और इस साल 3 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त 5.23 मिनट पर शुरू होगा। इस मुहूर्त का समापन 6.16 मिनट पर होगा।
इस विशेष समय में स्नान करने से पवित्र जल का प्रभाव अधिकतम होता है, और श्रद्धालु इस समय को अपनी आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं।
महाकुंभ में अमृत स्नान का आयोजन पवित्र नदियों में किया जाता है, जहाँ लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और इस अवसर का लाभ उठाते हैं।(Mahakumbh)
महाकुंभ में धुलते पाप
यह स्नान केवल शारीरिक शुद्धि ही नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मानसिक शांति का भी कारण बनता है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं, और व्यक्ति को जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है।
विशेष रूप से बसंत पंचमी के दिन स्नान करने का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि यह दिन ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
बसंत पंचमी के दिन, जब लोग अमृत स्नान करते हैं, तो वे न केवल अपने पापों से मुक्ति पाते हैं, बल्कि अपने जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार भी करते हैं।
यह दिन न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान होता है, बल्कि एक अवसर भी होता है जब लोग अपने जीवन में ज्ञान, सुख, और समृद्धि की कामना करते हैं।(Mahakumbh)
महाकुंभ में इस दिन का अमृत स्नान जीवन को नई दिशा देने के समान होता है, और यह व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाता है।
इसलिए, अगर आप इस पवित्र अवसर का हिस्सा बन रहे हैं, तो यह अवसर आपके जीवन में शुभ फल लाने का कारण बनेगा।
बसंत पंचमी का महत्व(Mahakumbh)
बसंत पंचमी का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह दिन ज्ञान, विद्या, और संगीत की देवी मां सरस्वती के समर्पित होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही मां सरस्वती का प्रकटोत्सव हुआ था, और यह दिन उनके जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है, और समस्त श्रद्धालु इस दिन अपने जीवन में ज्ञान और बुद्धि के आशीर्वाद की कामना करते हैं।
बसंत पंचमी के दिन, मां सरस्वती की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। यह पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि, मानसिक शांति और बुद्धि की वृद्धि के लिए भी अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।
इस दिन को खास बनाने के लिए कई लोग उपवासी रहते हैं और व्रत रखते हैं, ताकि वे मां सरस्वती से अपने जीवन में ज्ञान, कला और संगीत में सफलता प्राप्त कर सकें।
बसंत पंचमी बहुत ही पवित्र
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के व्रत और पूजा से विशेष रूप से उन क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है, जो शिक्षा, कला, संगीत और साहित्य से संबंधित होते हैं।
महाकुंभ के समय बसंत पंचमी का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि इस दिन अमृत स्नान का आयोजन होता है। महाकुंभ में अमृत स्नान का विशेष स्थान है, और यह अवसर बहुत ही पवित्र माना जाता है।(Mahakumbh)
अमृत स्नान की तिथियां ग्रहों और नक्षत्रों की चाल देखकर तय की जाती हैं, जिससे इन तिथियों का आध्यात्मिक प्रभाव अधिक होता है।
बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है, बल्कि मां सरस्वती का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
यह स्नान जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का आगमन करता है और व्यक्ति के सभी पापों से मुक्ति दिलाने का कारण बनता है।
जीवन में सकारात्मक बदलाव(Mahakumbh)
इस दिन मां सरस्वती की पूजा और अमृत स्नान करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। यह व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता, मानसिक शांति और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करता है।
इसके अलावा, अमृत स्नान के द्वारा व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और पवित्रता प्राप्त होती है, जो उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की दिशा में अग्रसर करती है।(Mahakumbh)
इस प्रकार, बसंत पंचमी का दिन न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह ज्ञान, शिक्षा, कला, और संगीत के क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त करने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर है।
महाकुंभ के इस पवित्र अवसर पर अमृत स्नान और मां सरस्वती की पूजा का महत्व अत्यधिक है और यह व्यक्ति के जीवन में विशेष आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
महाकुंभ 2025 शाही स्नान तिथियां
पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 के दिन पहला शाही स्नान होगा.
मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 के दिन दूसरा अमृत स्नान होगा.
मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 के दिन तीसरा अमृत स्नान होगा.
बसंत पंचमी 3 फरवरी 2025 के दिन चौथा अमृत स्नान होगा.
माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 के दिन पांचवा शाही स्नान होगा.
महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 के दिन आखिरी शाही स्नान होगा.