प्रयागराज। मौनी अमावस्या के मौके पर महाकुंभ में हादसे के बावजूद बुधवार की सुबह से सब कुछ सामान्य तरीके से चलता रहा। महाकुंभ में मौजूद तीन शंकराचार्यों ने एक साथ अमृत स्नान किया तो सभी अखाड़ों ने भी बारी बारी से अमृत स्नान किया। भगदड़ और अनेक लोगों की मरने की खबरों की वजह से अमृत स्नान में ज्यादा धूमधड़ाका नहीं किया गया। कई अखाड़ों ने गाजे बाजे के साथ जुलूस नहीं निकाले।
महाकुंभ के 17वें दिन बुधवार को मौनी अमावस्या पर सबसे पहले तीन शंकराचार्यों, श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी विधु शेखर भारती, द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती और ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने संगम में डुबकी लगाई। उसके बाद साधु, संत छोटे छोटे समूह में अपने इष्टदेव के साथ सांकेतिक रूप से संगम स्नान करने उतरे। सबसे बड़े जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी और निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने भी अमृत स्नान किया। अमृत स्नान के दिन वीआईपी के आने पर रोक लगाई गई थी लेकिन भाजपा सांसद हेमामालिनी बुधवार को कुंभ में पहुंचीं और अवधेशानंद गिरी के साथ अमृत स्नान किया।
बहरहाल, नागा साधुओं ने तलवार लहराईं और जयकारे लगाते हुए संगम घाट पहुंचे। प्रशासन की ओर से हेलीकॉप्टर से संतों और श्रद्धालुओं पर फूलों की बारिश की गई। बताया जा रहा है कि मंगलवार रात की घटना के बाद तय हुआ था कि अखाड़ों के साधु, संत मौनी अमावस्या पर स्नान नहीं करेंगे। हालांकि हालात पर तीन घंटे में काबू पा लिया गया। उसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखाड़ों से बात की, जिसके बाद साधु, संत अमृत स्नान के लिए राजी हो गए।
इसकी पुष्टि करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा, ‘हम अमृत स्नान के लिए जा रहे हैं। हजारों संत और नागा संन्यासी मेरे साथ हैं। हम जल्दी ही घाटों से हट जाएंगे। ताकि श्रद्धालु पवित्र स्नान कर सकें’।