mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ एक विश्व प्रसिद्ध धार्मिक आयोजन बन चुका है, जिसकी चर्चा न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में हो रही है।
इस बार महाकुंभ में केवल भारत के श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी श्रद्धा से लबरेज लोग पहुंचे हैं। जर्मनी, अफ्रीका, ब्राजील और अन्य देशों से श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। वे यहां आकर गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हुए पुण्य अर्जित करने के लिए पहुंचे हैं।
इस महाकुंभ में विशेष रूप से ध्यान देने योग्य बात यह है कि एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक रहे स्टीव जॉब्स की पत्नी, लोरेंस जॉब्स भी इस समय प्रयागराज पहुंची हैं।
वह संन्यासी वेशभूषा में दिखाई दीं, जो इस बात का प्रतीक है कि वह महाकुंभ में साधुओं और संतों के बीच रहकर, आत्मिक शांति और साधना का मार्ग अपनाएंगी। यह आयोजन उनके लिए एक आत्मिक अनुभव के रूप में प्रस्तुत हो रहा है।
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लोरेंस जॉब्स ने अपने इस धार्मिक यात्रा के दौरान साधुओं की संगत में रहते हुए, एक साधारण और तपस्वी जीवन जीने का संकल्प लिया है।
वह संन्यासियों की तरह जीवन यापन करने का इरादा रखती हैं, जिसमें विलासिता से दूर, एक साधारण जीवन जीने की कोशिश की जाएगी।
इसके साथ ही, वह महाकुंभ में होने वाले शाही स्नान में भी भाग लेंगी, जो इस धार्मिक महोत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा है।(mahakumbh 2025)
शाही स्नान का आयोजन विशेष रूप से आस्था और धार्मिक विश्वास के प्रतीक के रूप में होता है, और यह हर श्रद्धालु के लिए एक विशेष क्षण होता है।
इस प्रकार, प्रयागराज का महाकुंभ न केवल भारतीयों, बल्कि दुनियाभर के धर्म प्रेमियों और श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय अनुभव बन चुका है, जो न केवल धार्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है, बल्कि आत्मिक शांति और साधना के मार्ग पर चलने के लिए भी प्रेरित करता है।
लॉरेन ने महाकुंभ में संन्यासी का रूप
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है, और इस बार महाकुंभ का आयोजन न सिर्फ देश, बल्कि विदेशों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है।(mahakumbh 2025)
हर तरफ राम भजन, जयकारे और साधु-संतों की वाणी गूंज रही है, जो इस आयोजन को एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व दे रहे हैं। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं, इस भव्य पर्व में शामिल होने के लिए।
इसी बीच, Apple कंपनी के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल भी महाकुंभ में पहुंच चुकी हैं। वह अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद महाराज के पास दर्शन के लिए आई हैं।
महाकुंभ में उनके आगमन से यह आयोजन और भी खास बन गया है। लॉरेन पॉवेल अपनी 40 सदस्यीय टीम के साथ महाकुंभ में पहुंची हैं, जहां वह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेंगी, बल्कि साधु-संतों की संगत में रहकर सादगीपूर्ण जीवन बिताने का संकल्प भी लेंगी।
लॉरेन पॉवेल ने महाकुंभ में संन्यासी का रूप धारण किया है। भगवा चोला पहने और रुद्राक्ष की माला गले में डाले वह साधु-संतों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं।
यह उनके गहरे आध्यात्मिक अनुभव और साधना के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है। वह यहां कल्पवास करेंगी और इस दौरान पूरी तरह से साधु जीवन जीने का प्रयास करेंगी।
महाकुंभ का यह दृश्य न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें यह भी दिखाता है कि दुनिया भर के लोग इस दिव्य आयोजन में अपनी आस्था और विश्वास को साझा करने के लिए यहां आ रहे हैं। यह घटना विश्वभर में भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का सम्मान बढ़ाने का प्रतीक बन चुकी है।
स्वामी कैलाशानंद को मानती हैं पिता
महाकुंभ के आयोजन के दौरान, स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल का एक और दिलचस्प पहलू सामने आया, जिसे जानकर हर कोई हैरान रह गया। उन्होंने न केवल महाकुंभ में हिस्सा लिया, बल्कि अपने गुरु, स्वामी कैलाशानंद गिरी के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और प्रेम को भी उजागर किया।
शनिवार को वह अपने गुरु के पास, निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी के आश्रम पहुंची। यहां उन्होंने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और अपनी आस्था को और अधिक प्रगाढ़ किया।
लॉरेन पॉवेल को इस दौरान गुलाबी सूट और सफेद दुपट्टे में देखा गया, जो भारतीय संस्कृति की सुंदरता और शांति का प्रतीक था।
इसके बाद वह काशी विश्वनाथ मंदिर भी गईं, जहां उन्होंने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। काशी विश्वनाथ मंदिर में उनकी भक्ति और श्रद्धा देखने लायक थी।
लॉरेन पॉवेल बनी साध्वी
गुरु स्वामी कैलाशानंद के साथ पूजा करते हुए वह पूरी तरह से साध्वी जीवन के अनुरूप दिखाई दीं। उनका यह भक्तिमय रूप यह दर्शाता है कि वह सनातन धर्म में गहरी आस्था रखती हैं और इस यात्रा से उन्हें आध्यात्मिक शांति मिल रही है।
लॉरेन पॉवेल ने यह भी कहा कि वह अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद को न केवल अपनी गुरु के रूप में मानती हैं, बल्कि उन्हें अपने पिता के समान सम्मान और आस्था देती हैं। स्वामी कैलाशानंद गिरी भी अपने इस शिष्य को अपनी बेटी की तरह मानते हैं।
उन्होंने यह कहा कि लॉरेन पॉवेल के प्रति उनका स्नेह और आशीर्वाद पिता की तरह है, और वह भी उन्हें अपनी बेटी के रूप में समझते हैं।(mahakumbh 2025)
यह संबंध गुरु-शिष्य से कहीं अधिक गहरा और पारिवारिक है, जिसमें दोनों एक दूसरे के लिए बहुत सम्मान और प्रेम महसूस करते हैं।
लॉरेन पॉवेल का यह संपूर्ण अनुभव न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उस गहरे और आत्मीय संबंध को भी दर्शाता है, जो एक गुरु और शिष्य के बीच होता है।
यह संबंध केवल आस्थाओं और धार्मिकता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें एक पिता और बेटी के रिश्ते की भावना भी समाहित है, जो एक अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बन चुकी है।
लॉरेन पॉवेल से कमला रखा गया नाम
स्वामी कैलाशानंद ने लॉरेन पॉवेल को सनातन धर्म में अपनाने के बाद दिया अच्युत-गोत्र और नया नाम ‘कमला’
महाकुंभ के इस अद्भुत आयोजन के दौरान, स्वामी कैलाशानंद गिरी ने स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल के बारे में कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं।
उन्होंने बताया कि लॉरेन पॉवेल को सनातन धर्म में प्रवेश के बाद अच्युत-गोत्र दिया गया है, जो कि एक विशेष और सम्मानजनक धार्मिक पहचान है।
इसके साथ ही, उनका नाम भी आधिकारिक रूप से ‘कमला’ रखा गया है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति उनके समर्पण और आस्था को दर्शाता है।
स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा कि लॉरेन उनकी बेटी जैसी हैं, और उन्होंने यह भी कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि लॉरेन दूसरी बार भारत आई हैं और इस महाकुंभ में भाग ले रही हैं।
लॉरेन पॉवेल शाही स्नान के लिए भी तैयार(mahakumbh 2025)
वह इस बार ध्यान लगाने के लिए भारत आई हैं, और इस दौरान वह अपने आत्मिक शांति की प्राप्ति की दिशा में गहरे साधनाएं करेंगी।
उनका कहना था कि यह एक अद्वितीय अवसर है, जहां लॉरेन ने भारत की प्राचीन संस्कृति और धर्म को अपनाया है और उसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है।
महाकुंभ के विशेष अवसरों में, लॉरेन पॉवेल शाही स्नान के लिए भी तैयार हैं। 14 जनवरी और 29 जनवरी को होने वाले शाही स्नान और मौनी अमावस्या के मौके पर, वह महाकुंभ में पवित्र स्नान करेंगी।
यह स्नान महाकुंभ के पवित्र और शुभ अवसरों में से एक है, जहां लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पापों का प्रक्षालन करते हैं।
लॉरेन पॉवेल का इन आयोजनों में भाग लेना न केवल उनके आध्यात्मिक जीवन का एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह सनातन धर्म की ओर उनके समर्पण को भी व्यक्त करता है।
बताया जा रहा है कि लॉरेन इस पूरी अवधि के दौरान यहीं, प्रयागराज में ही रहेंगी। इस दौरान वह महाकुंभ के अन्य अनुष्ठानों और धार्मिक कार्यों में भी भाग लेंगी और साधु-संतों की संगत में अपना जीवन बिताएंगी।
उनके इस यात्रा से यह सिद्ध होता है कि उनका भारत और भारतीय संस्कृति से गहरा जुड़ाव है और वह यहाँ से अपने जीवन में गहरी आध्यात्मिक प्रेरणा लेने आई हैं।
इस यात्रा को वे एक आध्यात्मिक पुनर्निर्माण के रूप में देखती हैं, जो उन्हें जीवन के नए दृष्टिकोण और शांति की ओर मार्गदर्शन करेगा।