New Route For Kedarnath Yatra: उत्तराखंड में स्थित बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए अब एक नया और छोटा रास्ता निकाल लिया है. केदारनाथ जाने का यह नया रास्ता पुराने रास्ते से बिल्कुल अलग है. ये नया रास्ता पहले से ज्यादा आसान और छोटा है.(New Route For Kedarnath Yatra)
केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक मनोज रावत ने टीवी9 भारतवर्ष से खास बातचीत की. उसमें बताया कि केदारनाथ जाने के लिए किसी एक रास्ते पर निर्भर नहीं होकर अलग-अलग रास्ते बनाने का विचार किया जा रहा है. हाल के दिनों में हम देख रहे है कि बारिश के दिनों में केदारनाथ धाम में भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएं सामने आ रही है.
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7-8 घंटे में पहुंचे बाबा के धाम
पूर्व विधायक ने कहा कि बारिश के दिनों में पहाड़ों पर लैंडस्लाइड के कारण मलबा आने से यात्रा रुक जाती हैं. ऐसे में इसके लिए वैकल्पिक रास्ते तैयार किए जाएं. अबतक 9 रास्ते खोजे जा चुके हैं. मनोज रावत ने कहा कि मौजूदा समय में चौमासी खाम बुगियाल नाम के नए रास्ते की तलाश हुई है. उन्होंने कहा कि गुप्तकाशी से थोड़ा आगे जाने पर एक रास्ता कालीमठ के लिए जाता है.
गुप्तकाशी से चार से पांच किलोमीटर बाद कालीमठ के लिए नीचे उतरकर यहां पहुंचा जा सकता है. इसके बाद यहां से 10 किलोमीटर दूर चौमासी गांव है. इस गांव से चढाई करने से अगले सात से आठ घंटे में आप केदारनाथ धाम पहुंच सकते हैं.
लैंडस्लाइड ना के बराबर
इस रास्ते पर लैंडस्लाइड नहीं है. यह पूरी तरह से रॉक एंड वैली है. बेहद ही खूबसूरत इलाका है. उन्होंने कहा कि एक छोटी नदी भी है. केदारनाथ सेंचुरी डिविजन है इसकी वजह से कुछ बड़ा निर्माण नहीं हो सकता है. यहां पर मौजूदा समय में जाने के लिए सेंचुरी रूट की पर्ची कटवानी पड़ती है.
2013 के रूट पर यात्रा फिर से शुरू?
मनोज रावत ने बताया कि 2013 की आपदा के पहले जो केदारनाथ का रास्ता था उसे भी ठीक किया जा रहा है. इसके लिए रामबाड़ा से गरुड़चट्टी को डेवलप किया जा रहा है. इसके साथ आपदा के बाद लिंचोली होकर जो रास्ता बना उसपर भी आवागमन जारी है. इसके साथ ही चौमासी को भी वैकल्पिक रास्ते के तौर पर तैयार करने की योजना है.
जुलाई के आपदा से लिया सबक
31 जुलाई को केदारनाथ से 6 किमी पहले भीमबली में बादल फटने के बाद 15 हजार लोग फंस गए थे. इस आपदा में कुछ लोगों ने जान गवांई थी. लोगों को सुरक्षित निकालने में एक हफ्ते का समय लग गया था.कालीमठ पंचायत सदस्य विनोद राणा के अनुसार 2013 में जब केदारनाथ धाम में आपदा आई थी, तब बचाव टीम चौमासी से ही केदारनाथ पहुंची थी. यहां 6 फीट चौड़ा ट्रैक मौजूद है. लेकिन, इसे विकसित करना पड़ेगा.