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केदारनाथ यात्रा पर जाना मतलब मौत के साक्षात दर्शन, एक बार फिर हुई तबाही

Kedarneth Cloud Brust

Kedarneth Cloud Brust: उत्तराखंड में स्थित रूद्रप्रयाग जिले में बसा केदारनाथ मंदिर जहां पर 2 दिन पहले आई बाढ़ ने एक बार फिर से तबाही मचाई थी. केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिनचौली, भीमबली में बादल फटने से तबाही हुई.(Kedarneth Cloud Brust)

रामबाड़ा में लैंडस्लाइड से मंदिर जाने वाले रास्ते बह गए. लैंडस्लाइड और बादल फटने के बाद हालात बहुत डरावने हो जाते है. ऐसा मंजर सामने देख प्रतीत होता है कि अगले ही पल मौत आने वाली है. श्रद्धालु अपने महादेव से मिलने उनके दर्शन के लिए केदारनाथ मंदिर जाते है और वहां पर ऐसे मौत आने जैसा मंजर देखते है.

कहा जाता है कि केदारनाथ मंदिर किसी आपदा के बाद से 400 साल तक बर्फ में ढ़का रहा था. 2013 में भी केदारघाटी में ऐसी ही त्रासदी आई थी. वो आपदा अबतक की सबसे भयावह थी.

2013 की आपदा में बसी-बसाई केदारघाटी तहस-नहस हो गई थी. केवल मंदिर के अलावा केदारपुरी में कुछ भी शेष ना रहा था. 2 दिन पहले जब भारी बारिश के बाद लैंडस्लाइड और बादल फटा तो लगा कि 2013 का मंजर आंखों के सामने आने वाला है. लेकिन महादेव ने समय रहते भक्तों को बचा लिया.

केदारनाथ ना आने की अपील

सावन और सुलाई से सितंबर के मौसम में बारिश और प्राकृतिक आपदाओं का दौर रहता है. ऐसे में पहाड़ों पर खासतौर पर केदारनाथ यात्रा पर जाने से बचे. लेकिन इस मौसम में प्रकृति बेहद खूबसुरत हो जाती है.

इस मौसम में प्रकृति का रंग निखरता है. इस सुंदरता और महादेव के दर्शन के लिए भक्त यात्रा पर जाते है. जब सामने बादल फटता है तो एक बार तो मौत के दर्शन हो ही जाते है. चारों तरफ पानी ही पानी और इस मंजर से इसान बचे भी तो कैसे…

लागातार हुई भारी बारिश के बाद से लैंडस्लाइड और बादल फटने की भयावह घटनाएं देखने को मिली. केदारनाथ में बारिश के हर समय ऐसा लगता है कि अब कोई बड़ी आपदा आने वाली है.(Kedarneth Cloud Brust)

पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन होना शायद अब आम बात हो गई है. लैंडस्लाइड और बादल फटने के बाद से केदारनाथ धाम की यात्रा रोक दी गई और श्रद्धालुओं से मंदिर की ओर ना आने की अपील की और आने वाले 4-5 दिनों तक जब मौसम सही ना हो जाएं केदारनाथ यात्रा पर ना आने की अपील की.

बादल फटने से केदारनाथ यात्रा रूट पर 30 मीटर की सड़क मंदाकिनी नदी में समा गई है। इसके चलते बड़ी संख्या में तीर्थयात्री गौरीकुंड-केदारनाथ यात्रा मार्ग पर भीमबली से आगे फंस गए थे।

2013 का मंजर फिर से आंखों के सामने

इसके चलते बचाव के लिए NDRF की 12 और SDRF की 60 टीमें तैनात की गई हैं. उत्तराखंड में पिछले 2 दिनों में टिहरी में बादल फटने से भारी तबाही हुई थी.केदारनाथ में बादल फटने से पैदल रूट पर लिनचोली और भीमबली के पास 2000 से ज्यादा लोग फंसे हैं.

केदारनाथ में बादल फटना फिर से उस 2013 की आपदा का मंजर याद दिला देता है जिसे ना तो कोई भूला है और ना ही कोई उस भयावह मंजर को याद करना चाहता है.

एक बसा-बसाया शहर था केदारनाथ…13-16 जून, 2016 की भारी बारिश के बाद बादल फटने से केदारनाथ मंदिर के अलावा कुछ भी नहीं रहा. लाखों लोगों ने उस त्रासदी में अपनी जान गंवाई थी.

हालात ऐसे हो गए थे कि लोगों में केदारनाथ जाने के नाम पर भय व्याप्त हो गया था. भविष्य में भी केदारघाटी में 2013 जैसा भयावह मंजर कभी भी देखने को ना मिल

चिनूक और एमआई17 से बचाव कार्य जारी

उत्तराखंड में बादल फटने से मची तबाही में फंसे लोगों को बचाने के अभियान में वायुसेना के चिनूक और एमआई17 हेलिकॉप्टरों को भी उतार दिया गया है

केदारनाथ के रास्ते में फंसे 6,980 से अधिक तीर्थयात्रियों को अब तक सुरक्षित निकाला जा चुका है, जबकि अभी 1,500 से अधिका श्रद्धालु और स्थानीय लोग रास्ते में जहां-तहां फंसे हुए हैं. इनमें से 150 लोगों से उनके परिजनों का संपर्क नहीं हो पा रहा है

सोनप्रयाग की पुलिस अधीक्षक डॉ. विशाखा अशोक भदाणे ने बताया कि अतिवृष्टि से अभी तक एक यात्री की मौत होने की सूचना है

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