राज्य-शहर ई पेपर पेरिस ओलिंपिक

उत्तराखंड विधानसभा में अवैध नियुक्ति पर सरकार पशोपेश में, कोर्ट से फिर मोहलत

नैनीताल। उत्तराखंड विधानसभा (uttarakhand assembly) में अवैध नियुक्तियों के मामले में प्रदेश सरकार पशोपेश में है और उससे कोई जवाब देते नहीं बन रहा है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय (uttarakhand High Court) ने सरकार को जवाब देने के लिए एक और मोहलत दी है। अब उसे चार सप्ताह के अदंर जवाब देना है।

कांग्रेस नेता अभिनव थापर की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि विधान सभा सचिवालय की ओर से अवैध नियुक्तियों के मामले में जवाब दाखिल कर दिया गया है जबकि प्रदेश सरकार पिछले छह महीने से इस मामले में जवाब नहीं पेश कर पाई है।

सरकार के अधिवक्ता की ओर से जवाब पेश करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया और उसे चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। इस मामले में अब 30 जून को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ता की ओर से पिछले साल एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि विधानसभा सचिवालय ने जाँच समित की रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2016 के बाद हुई नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है जबकि उससे पहले हुई नियुक्तियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।

याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि विधान सभा सचिवालय में राज्य बनने के बाद से यानी वर्ष 2000 से की गयी सभी नियुक्तियां अवैध हैं। याचिकाकर्ता की ओर से सभी नियुक्तियों की जांच उच्च न्यायालय के सिटिंग जज से कराने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही दोषियों से सरकारी धन की वसूली करने की मांग की गयी है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की ओर से आगे कहा गया कि कि विधानसभा सचिवालय की ओर से तदर्थ नियुक्ति पर रोक के बावजूद नियुक्तियां की गयी हैं। सचिवालय की ओर से संविधान के अनुच्छेद 14, 16 व 187 के साथ ही उत्तर प्रदेश विधानसभा सेवा नियमावली, 1974 तथा उत्तराखंड विधानसभा नियमावली, 2011 का उल्लंघन किया गया है। (वार्ता)

 

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

और पढ़ें