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आरजी कर हत्या मामले में आरोपी को मृत्युदंड के लिए हाईकोर्ट में अपील

West Bengal, Mar 17 (ANI): A view of Calcutta High court, as Calcutta High Court and its subordinate courts, will function in a restricted manner from March 17 because of the coronavirus pandemic, in Kolkata on Tuesday. (ANI Photo)

RG Kar Murder Case : पश्चिम बंगाल सरकार ने मंगलवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नौ अगस्त, 2024 को 31 वर्षीय महिला जूनियर चिकित्सक के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपी नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय के लिए मृत्युदंड की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक अपील दायर की।

सरकार ने सियालदह सिविल एवं आपराधिक न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिरबन दास द्वारा दोषी रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद उच्च न्यायालय का रुख किया। सत्र न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा है कि मामले को ‘दुर्लभतम’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता और राज्य सरकार को पीड़िता के माता-पिता को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।

सूत्रों के मुताबिक कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दे दी है। राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका दायर की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने निचली अदालत के फैसले पर असंतोष व्यक्त किया और कहा कि आजीवन कारावास की सजा पाए कैदी को कभी-कभी दो से तीन साल बाद या पैरोल पर रिहा कर दिया जाता है।

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सुश्री बनर्जी ने मालदा में कहा क्या यह स्वीकार्य है कि दुष्कर्म और हत्या के ऐसे मामले में अपराधी को समाज में स्वतंत्रता मिले और वह घूमता रहे।” उन्होंने कहा मेरे लिए उसका अपराध समाज में सबसे दुर्लभ, अत्यधिक संवेदनशील और जघन्य है और हम चाहते हैं कि ऐसे अपराधियों को मृत्युदंड मिले। उन्होंने कहा कि वह कानून के बारे में जानती हैं क्योंकि उन्होंने खुद भी कुछ मामलों में वकालत की है। उन्होंने कहा हमने मृत्युदंड की मांग की है और हम इस पर कायम हैं।”

मुख्यमंत्री ने सोमवार को यह देखकर आश्चर्य व्यक्त किया कि अदालत के फैसले में पाया गया है कि यह दुर्लभतम में से दुर्लभतम मामला नहीं है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा ”मुझे विश्वास है कि यह वास्तव में दुर्लभतम में से दुर्लभतम मामला है जिसके लिए मृत्युदंड की आवश्यकता है। फैसले में यह निष्कर्ष कैसे निकाला जा सकता है कि यह दुर्लभतम में से दुर्लभतम मामला नहीं है।”

उन्होंने कहा पिछले 3/4 महीनों में हम ऐसे अपराधों में दोषियों को मृत्युदंड या अधिकतम सजा दिलाने में सफल रहे हैं। फिर इस मामले में मृत्युदंड क्यों नहीं दिया गया। मुझे दृढ़ता से लगता है कि यह एक जघन्य अपराध है जिसके लिए मृत्युदंड दिया जाना चाहिए। हम अब उच्च न्यायालय में दोषी को मृत्युदंड देने की मांग करेंगे।

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