कोलकाता। पिछले साल अगस्त में कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के आरोपी संजय रॉय को अदालत ने दोषी करार दिया है। घटना के 162 दिन बाद शनिवार को सियालदह की अदालत ने आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिया और कहा कि सजा का ऐलान सोमवार को किया जाएगा। अदालत ने कहा कि सजा का ऐलान करने से पहले दोषी को भी बोलने की इजाजत दी जाएगी। हालांकि दोषी ठहराए जाने के बाद संजय रॉय ने कहा कि वह बेकसूर है और इस मामले में एक आईपीएस शामिल है। सजा सुनाए जाते समय कुछ जूनियर डॉक्टरों और अन्य लोगों ने अदालत के बाहर प्रदर्शन भी किया।
गौरतलब है कि पीड़ित डॉक्टर के परिजनों के साथ साथ जूनियर डॉक्टर इसके पीछे बड़ी साजिश बताते हैं। लेकिन पहले पुलिस और बाद में सीबीआई ने सिर्फ संजय रॉय पर फोकस किया और उसी पर मुकदमा चलाया गया। यहां तक कि इस मामले में आरोपी बनाए गए दो अन्य लोगों के खिलाफ 90 दिन की अवधि में सीबीआई आरोपपत्र नहीं दाखिल कर सकी तो उनको जमानत मिल गई। आरजी कर अस्पताल के प्रिंसिपल संदीप घोष को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था। लेकिन उनको जमानत मिल गई।
बहरहाल, दोषी ठहराए जाने के बाद सीबीआई ने संजय रॉय के लिए फांसी की मांग की है। दोषी ठहराए गए संजय की बड़ी बहन ने कहा कि ट्रॉयल कोर्ट के इस फैसले को किसी भी अदालत में चुनौती देने की कोई योजना नहीं है। फैसले के बाद संजय ने कहा, ‘मुझे इस मामले में फंसाया गया है। मैंने यह काम नहीं किया। जिन्होंने ये काम किया है, उन्हें जाने दिया गया है। एक आईपीएस इसमें शामिल है। मैं रुद्राक्ष की माला पहनता हूं और अगर मैंने अपराध किया होता तो यह टूट जाती’।
गौरतलब है कि आरजी कर हॉस्पिटल में आठ अगस्त की देर रात को को जूनियर डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। नौ अगस्त की सुबह डॉक्टर की लाश सेमिनार हॉल में मिली थी। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने संजय रॉय नाम के सिविक वॉलंटियर को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया था। इस घटना के बाद कोलकाता सहित देश भर में प्रदर्शन हुए। बंगाल में दो महीने से भी ज्यादा समय तक स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प रही थीं।
बहरहाल, अदालत ने फॉरेंसिक रिपोर्ट को सजा का आधार बनाया, जिसके मुताबिक संजय रॉय इस मामले में शामिल था। घटनास्थल और पीड़ित डॉक्टर के शरीर पर भी संजय का डीएनए मिला था। सजा सुनाने वाले जज अनिर्बान दास ने कहा कि इस मामले में अधिकतम सजा फांसी दी जा सकती है और कम से कम सजा आजीवन कारावास होगी। गौरतलब है कि नौ अगस्त की घटना के बाद आरजी कर अस्पताल के डॉक्टरों और पीड़ित परिवार ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जांच के आदेश नहीं दिए। हाई कोर्ट के आदेश के बाद 13 अगस्त को जांच सीबीआई को सौंपी गई।