काठमांडू। नेपाल में पिछले कई महीनों से चल रहा राजनीतिक संकट गहरा गया है। अपनी ही पार्टी के भीतर बड़े नेताओं की नाराजगी झेल रहे नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के संसद भंग करने की सिफारिश कर दी। उनकी सिफारिश को राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने मंजूरी भी दे दी है। बाद में सरकार ने अगले साल अप्रैल-मई में संसदीय चुनाव कराने का ऐलान कर दिया।
इस बीच नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के खेमे के सात मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। दहल लगातार ओली पर इस्तीफे के लिए दबाव बना रहे थे। बहरहाल, ओली की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति के कार्यालय की ओर से बताया गया कि कैबिनेट के मंत्रियों की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति ने देश में अगले साल 30 अप्रैल से 10 मई के बीच चुनाव कराए जाने का फैसला किया है।
इससे पहले ओली ने रविवार सुबह अचानक कैबिनेट की इमरजेंसी मीटिंग बुलाई। इसी में संसद भंग करने का फैसला किया गया। शनिवार को भी उन्होंने पार्टी के बड़े नेताओं के साथ लगातार कई बैठकें की थीं। नेपाल के ऊर्जा मंत्री बर्शमान पुन ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि पार्टी में बढ़ती दरार के बीच कैबिनेट ने संसद भंग करने की सिफारिश करने का फैसला लिया था।
हालांकि नेपाल के संविधान में सदन भंग करने का प्रावधान नहीं है। इसलिए प्रधानमंत्री के इस कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है। असल में पार्टी के ज्यादातर नेता ओली के खिलाफ हो चुके हैं। वे कई महीने से उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। दूसर नेताओं ने भी ओली के ऊपर इस्तीफे का दबाव बनाया था।
नेपाल में संसद भंग, अप्रैल-मई में चुनाव
और पढ़ें
-
केजरीवाल पर नेता चुनने का दबाव
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली का राज चलाने के लिए नया...
-
अखिलेश व आजम का विवाद कितना सही
समाजवादी पार्टी में नए और पुराने नेताओं की बहस लगभग समाप्त हो गई है। पुराने नेताओं में अब सिर्फ आजम...
-
महुआ मोइत्रा क्या चुनाव के बीच गिरफ्तार होंगी?
पूर्व सांसद और पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ रही हैं।...
-
ममता कांग्रेस के खिलाफ और केजरीवाल के साथ
इस बात की चर्चा बहुत दिन से होती है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अंदर एक उप समूह है, जो...