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न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या बढ़ाएं!

ByNI Desk,
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न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या बढ़ाएं!
प्रयागराज। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना दोनों ने न्यायपालिका में महिलाओं की कमी का मुद्दा उठाया और उनकी संख्या बढ़ाने की जरूरत बताई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को प्रयागराज में 640 करोड़ रुपए की कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया। नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद हाई कोर्ट के अधिवक्ता चैंबर की बिल्डिंग और मल्टी लेवल पार्किंग की आधारशिला भी रखी। चीफ जस्टिस भी इस कार्यक्रम में उनके साथ मौजूद थे। supreme court cji ramana इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए। इतिहास का जिक्र करते हुए महामहिम ने बताया कि 1925 में भारत की पहली महिला वकील का पंजीकरण इलाहाबाद हाई कोर्ट में ही हुआ था। राष्ट्रपति ने हाल ही में नियुक्त तीन महिला जजों की नियुक्ति का जिक्र करते हुए कहा- ये ऐतिहासिक है। महिलाओं में हर तरह के लोगों को न्याय देने की क्षमता होती है। Read also भारत के ‘गोल्डन बॉय’ Neeraj Chopra का एक और सपना हुआ साकार, माता-पिता को कराई पहली हवाई यात्रा राष्ट्रपति ने कहा- सही मायने में न्यायपूर्ण समाज की स्थापना तभी संभव होगी जब न्यायपालिका में महिलाओं की भूमिका बढ़ेगी। अभी 12 फीसदी से भी कम इनकी संख्या है। इनकी संख्या को बढ़ाना होगा। आशा करता हूं कि देश के इस बड़े हाई कोर्ट में महिला अधिवक्ताओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी। राष्ट्रपति ने कहा- सबको न्याय मिले इसके लिए काम करना होगा। ये चुनौती है। आम लोगों में न्यायपालिका के प्रति विश्वास जगाना होगा। लंबित मामलों को जल्द से जल्द निस्तारित करना चाहिए। जजों की संख्या बढ़ाकर और अन्य संसाधन उपलब्ध कराने से ही न्याय प्रक्रिया को मजबूती मिलेगी।
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