नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष यानी 2021-22 की तीसरी तिमाही में विकास दर में कमी आ गई। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में विकास दर 5.4 फीसदी रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, एनएसओ की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, साल दर साल के आंकड़ों के आधार पर पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 0.7 फीसदी थी। growth rate third quarter
अगर तिमाही के आंकड़ों के आधार पर देखें तो दूसरी तिमाही के मुकाबले तीसरी तिमाही में विकास दर तीन फीसदी कम हो गई। वित्त वर्ष 2021-22 के दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के बीच विकास दर 8.4 फीसदी रही थी, जो अक्टूबर से दिसंबर के बीच घट कर 5.4 फीसदी रह गई। दूसरी तिमाही में विकास दर ऊंची रहने का कारण यह था कि पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही में विकास दर काफी नीची रही थी। इसलिए लो बेस होने की वजह से दूसरी तिमाही में विकास दर ऊंची रही।
बहरहाल, एनएसओ के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी वृद्धि दर 8.9 फीसदी रहने का अनुमान है। जनवरी में जारी पहले अग्रिम अनुमान में मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी। पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में इसमें 6.6 फीसदी की गिरावट आई थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तुलनात्मक आधार कमजोर होने से अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 20.3 फीसदी रही थी। दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8.4 फीसदी थी।
Read also पूर्वांचल की सनसनी नेहा सिंह राठौर!
माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में भी अर्थव्यवस्था पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त और यूक्रेन पर रूस के हमले का असर दिख सकता है। इसके चलते अनुमान लगाया जा रहा है कि जनवरी से मार्च के बीच भी अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी ही रहेगी। दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार का सबसे बड़ा कारण लो बेस था। हालांकि खपत और निवेश में भी सुधार आया था।
Tags :GDP