इंफाल। मणिपुर में दो जातीय समूहों के बीच हुई हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा आखिरकार सामने आया। बुधवार को भड़की हिंसा में 54 लोगों की मौत हुई है। अस्पतालों में दाखिल लोग और पोस्टमार्टम के लिए ले जाए गए शवों की गिनती से यह आंकड़ा पता चला है। बुधवार को आदिवासी मोर्चा की रैली के दौरान हिंसा भड़की थी और उसके चौथे दिन मरने वालों का आंकड़ा सामने आया है। शुक्रवार को जिस दिन मीडिया में खबर दी गई कि हिंसा थम गई है उस दिन भी सात लोगों की मौत हुई है। इंटरनेट और मोबाइल बंद होने या किसी न किसी तरह की सेंसरशिप की वजह से खबरें दबी रहीं।
बहरहाल, शनिवार को पता चला कि मणिपुर में बहुसंख्यक मैती समुदाय को आरक्षण देने के मामले में हाई कोर्ट की ओर से राज्य सरकार को नोटिस जारी किए जाने के बाद भड़की हिंसा में 54 लोगों की मौत हुई है और कम से कम 11 सौ लोगों ने वहां से भाग कर असम में शरण ली है। बुधवार से शुक्रवार तक हुई हिंसा में एक सौ से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनका इलाज रिम्स इंफाल और जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में चल रहा है। गौरतलब है कि मैती समुदाय को एसटी सूची में शामिल करने की मांग के खिलाफ आदिवासी समुदाय के लोगों ने बुधवार को रैली निकाली थी। चूराचांदपुर में उस दिन भारी हिंसा हुई थी, जिसके अगले दिन पूरे इलाके में दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया गया था।
बहरहाल, हिंसा के बाद से भारत और म्यांमार की सीमा पर हवाई निगरानी की जा रही है। राज्य के हालात को देखते हुए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने राज्य में मेडिकल में दाखिले के लिए होने वाली नीट-पीजी की परीक्षा स्थगित कर दी है। मणिपुर में जिन छात्रों का सेंटर था उनकी परीक्षा बाद में होगी। इस बीच दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस में कूकी समुदाय के छात्रों ने दावा किया कि मैती समुदाय के छात्रों ने उन पर गुरुवार रात को हमला किया। उन्होंने शुक्रवार को एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की। पुलिस ने इससे इनकार कर दिया, जिसके बाद छात्रों ने प्रदर्शन किया।
बहरहाल, शुक्रवार को मोबाइल इंटरनेट अगले आदेश तक बंद कर दिया गया था। दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए, साथ ही मणिपुर जाने वाली ट्रेनों को रोक दिया गया। हिंसा को देखते हुए राज्य के 16 में से आठ जिलों में कर्फ्यू लगाया गया था। हालांकि अब इसमें ढील दी जा रही है। शनिवार की सुबह कुछ इलाकों में दुकानें खुलीं। हिंसा प्रभावित इलाके में सेना और असम राइफल्स के करीब 10 हजार जवान तैनात किए गए हैं। इस बीच खबर है कि कूकी समुदाय के लोग सुरक्षा के लिए हिंसा प्रभावित इलाकों से भाग कर असम के कछार पहुंच रहे हैं। हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित चूराचांदपुर में अपने घर लौटे सीआरपीएफ के एक जवान की गोली मार कर हत्या कर दी, जिसके बाद सीआरपीएफ ने छुट्टी पर गए मणिपुर के सभी जवानों को नजदीकी बेस पर रिपोर्ट करने को कहा है।