नई दिल्ली। नेशनल कांफ्रेंस के संरक्षक और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की रिहाई का मुद्दा लोकसभा में उठाते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र सरकार पर सदन को गुमराह करने का आरोप लगाया और सरकार से जवाब मांगा।
लोकसभा में बुधवार को प्रश्नकाल समाप्त होने पर सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने यह मामला उठाया । उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला और कई पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं को देश की सुरक्षा के प्रति खतरा बताते हुए हिरासत में लिया गया था।
उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला और इन नेताओं को जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया था। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों फारूक अब्दुल्ला को रिहा कर दिया गया तो क्या अब वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा नही हैं ? अब ऐसा क्या हुआ कि केंद्र सरकार ने उन्हें रिहा कर दिया? चौधरी ने सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्र ने अब्दुल्ला के संबंध में सदन को गुमराह किया।
उसे इसका जवाब देना चाहिए कि उसने ऐसा क्यों किया। फारूक को 4 अगस्त 2019 की रात को नजरबंद किया गया था। अगले ही दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा लिया गया था। 15 सितंबर से उन्हें जन सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में रखा गया था। उनकी हिरासत अवधि तीन-तीन महीने बढ़ाने के आदेश तीन बार जारी हुए। पिछला आदेश 11 मार्च को ही जारी हुआ था। इसे सरकार ने वापस ले लिया है।
फारूक अब्दुल्ला के मामले में केंद्र पर गुमराह करने का आरोप
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