नई दिल्ली। भारत और रूस का सद्भाव खुल कर सामने आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की तो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रहेगा। लेकिन इससे पहले अमेरिका ने रूस के साथ संबंधों को लेकर बहुत साफ शब्दों में चेतावनी दी थी। अमेरिका ने गुरुवार को आगाह किया था कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करने वाले देशों को अंजाम भुगतने होंगे।
भारत के दो दिन के दौरे पर आए अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने अपनी भारत यात्रा के दूसरे दिन गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा- कोई भी इस बात पर भरोसा नहीं करेगा कि अगर चीन नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करता है तो रूस भारत की मदद के लिए दौड़ता हुआ आएगा। दलीप सिंह ने कहा कि भारत की रूस से तेल की खरीद फिलहाल अमेरिकी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि भारत रूस पर अपनी निर्भरता कम करे।
रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों की रूप-रेखा तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले दलीप सिंह ने चार देशों के समूह क्वाड का जिक्र करते हुए कहा कि समूह में इस बात को मान्यता दी गई है कि चीन स्वतंत्र, खुले और सुरक्षित हिंद-प्रशांत के लिए एक रणनीतिक खतरा है। उन्होंने कहा- आप इस वास्तविकता से मुंह नहीं मोड़ सकते कि चीन और रूस ने नो लिमिट पार्टनरशिप का ऐलान किया है। तो रूस ने भी कहा है कि चीन उसका सबसे अहम रणनीतिक साझेदार है।
रूस और चीन की रणनीतिक दोस्ती का जिक्र करते हुए दलीप सिंह ने कहा कि इन सबका असर भारत पर पड़ना तय है। उन्होंने कहा- रूस, चीन के साथ इस रिश्ते में जूनियर पार्टनर बनने जा रहा है। रूस और चीन के संबंध भारत के खिलाफ साबित होंगे। मुझे नहीं लगता कि कोई यह विश्वास करेगा कि अगर चीन एक बार फिर एलएसी का उल्लंघन करता है, तो रूस भारत की रक्षा के लिए दौड़ता हुआ आएगा। उन्होंने कहा- इसलिए हम चाहते हैं कि दुनिया भर के लोकतंत्र और खासतौर पर क्वाड देश एक साथ आएं और यूक्रेन को लेकर अपने साझा हितों को प्रमुखता से उठाएं।