तेहरान। महसा अमीनी की मौत के बाद देश में दो महीने तक चले हिजाब विरोधी प्रदर्शन और महिलाओं का आंदोलन आखिरकार सफल रहा। लंबे आंदोलन के बाद ईरान सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए देश की नैतिकता पुलिस को भंग करने का फैसला किया है। स्थानीय मीडिया ने रविवार का यह जानकारी दी। गौरतलब है कि हिजाब नहीं पहनने की वजह से तेहरान में नैतिकता द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद 22 साल की महसा की हिरासत में मौत हो गई थी। इसके बाद पूरे ईरान में प्रदर्शन शुरू हो गए थे और आंदोलन भड़क गया था। देश के सख्त महिला ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के आरोप में महसा को गिरफ्तार किया गया था।
रविवार को न्यूज एजेंसी आईएसएनए ने अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंताजारी के हवाले से कहा- मोरैलिटी पुलिस का न्यायपालिका से कोई लेना-देना नहीं है। इसे खत्म कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, अटॉनी जनरल की यह टिप्पणी एक धार्मिक सम्मेलन के दौरान जवाब के रूप में सामने आई, जहां एक प्रतिभागी ने सवाल दिया था कि मोरैलिटी पुलिस को बंद क्यों किया जा रहा है?
गौरतलब है कि मोरैलिटी पुलिस, जिसे औपचारिक तौर पर गश्त ए इरशाद के नाम से जाना जाता है, की स्थापना ईरान के कट्टरपंथी राष्ट्रपति मेहमूदक अहमदीनेजाद के कार्यकाल के दौरान हिजाब के संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए की गई थी। बहरहाल, ईरान में 16 सितंबर को महसा अमीनी की हिरासत में हुई मौत के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों में तीन सौ से अधिक लोगों की मौत हुई थी। यही नहीं, हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के दौरान 14 हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था। ईरान में कई कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने इन विरोध प्रदर्शनों को राष्ट्रीय क्रांति का नाम देते हुए इसे ईरानी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया था।
ईरान की महिलाएं जीती?
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