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गेहूं के निर्यात पर रोक

ByNI Desk,
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गेहूं के निर्यात पर रोक
नई दिल्ली। गेहूं और आटे की कीमत में लगातार बढ़ोतरी होने, रबी की फसल में कमी और सरकारी खरीद में गिरावट को देखते हुए केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है। शनिवार को सरकार ने तत्काल प्रभाव से गेहूं का निर्यात रोक दिया। सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि गेहूं की निर्यात नीति पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाया जाता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय, डीजीएफटी की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है- इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले जिस खेप के लिए अपरिवर्तनीय ऋण पत्र यानी एलओसी जारी किए गए हैं, उसके निर्यात की अनुमति होगी। गेहूं के निर्यात पर पाबंदी की घोषणा करते हुए सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार की ओर से दूसरे देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए और उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर दी गई अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात की इजाजत दी जाएगी। एक अलग अधिसूचना में डीजीएफटी ने प्याज के बीज के लिए निर्यात शर्तों को आसान बनाने की घोषणा की। डीजीएफटी ने कहा- प्याज के बीज की निर्यात नीति को तत्काल प्रभाव से सीमित श्रेणी के तहत रखा जाता है। गौरतलब है कि पिछले चार महीने से भारत में महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय की गई अधिकतम सीमा से ऊपर है। खाने-पीने की चीजों की वहजह से महंगाई बढ़ रही है। दूसरी ओर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में बाधा आई है। इस युद्ध की वजह से भारत के गेहूं की मांग काफी बढ़ी है लेकिन भारत में भयंकर गर्मी की वजह से रबी की फसल कमजोर हुई है और इस साल सरकारी खरीद में भी कमी आई है। रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक देश रहे हैं। लेकिन युद्ध की वजह से दोनों का निर्यात प्रभावित हुआ है। पिछले साल यानी 2021-22 में दुनिया में मांग बढ़ने के कारण 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात बढ़ कर 70 लाख टन पहुंच गया था। इस साल यानी 2022-23 में भारत को एक करोड़ टन गेहूं का निर्यात करने की उम्मीद थी। वाणिज्य मंत्रालय ने हाल ही में कहा था कि भारत गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए नौ देशों-मोरक्को, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, वियतनाम, तुर्की, अल्जीरिया और लेबनान में व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजेगा। लेकिन ऐसा लग रहा है कि इस साल निर्यात का लक्ष्य नहीं हासिल किया जा सकेगा। क्योंकि इस साल उत्पादन का लक्ष्य भी हासिल होना मुश्किल है और सरकारी खरीद का लक्ष्य भी हासिल नहीं होगा। निजी कारोबारियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी से ज्यादा कीमत पर खरीद की वजह से सरकारी खरीद में कमी आई है। इस साल सरकारी खरीद में 44 फीसदी की कमी आई है। सरकारी खरीद में कमी और मुफ्त अनाज बांटने की योजना की वजह से आने वाले दिनों में गेहूं और आटे की कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है।
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