नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को किसानों के 10 घंटे के भारत बंद के कई राज्यों में जनजीवन प्रभावित रहा। विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बंद असरकारक था। ट्रेनों के रद्द होने और राजमार्ग व प्रमुख सड़कों के बंद होने से हजारों यात्री फंसे रहे। सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक के भारत बंद के दौरान कई जगहों पर प्रदर्शन भी हुए। हिंसा या गंभीर झड़पों की कोई खबर नहीं आई। केरल, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के भी कई इलाकों में व्यापक असर दिखा। Bharat Bandh farmer protest
चालीस किसान संघों के संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और मुख्य सड़कों को रोका और सुबह से ही कई स्थानों पर ट्रेन पटरियों पर बैठ गए थे। नाकाबंदी शाम चार बजे खत्म हुई। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा है कि उसके भारत बंद के आह्वान को 23 से अधिक राज्यों में 'अभूतपूर्व और ऐतिहासिक' प्रतिक्रिया मिली और कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। देश के अन्नदाता की जायज मांगों के साथ शांतिपूर्ण विरोध के 10 महीने होने पर अधिकतर स्थानों पर समाज के विभिन्न वर्गों की स्वभाविक हिस्सेदारी दिख। मोर्चा ने बंद को समर्थन देने वाले राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों की भी सराहना की।
उत्तर भारत में लगभग 25 ट्रेनें प्रभावित रहीं। इसके अलावा यात्री वाहनों के साथ-साथ आवश्यक सामान ले जाने वाले ट्रकों की आवाजाही भी अवरुद्ध रही। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में गुड़गांव, गाजियाबाद और नोएडा विशेष रूप से प्रभावित रहे, जिनमें हर दिन हजारों लोग आवाजाही करते हैं। किसानों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर सहित राष्ट्रीय राजधानी में जाने वाली अन्य सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। इसके अलावा हरियाणा के सोनीपत में कुछ दूर, कुछ किसान पटरियों पर बैठ गए। पंजाब के पटियाला में भी, बीकेयू-उग्राहन के सदस्य अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पटरियों पर बैठ गए। पड़ोसी हरियाणा में, सिरसा, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में राजमार्ग अवरुद्ध कर दिए गए। दोनों राज्यों में कुछ स्थानों पर किसानों के रेल पटरियों पर बैठने की भी खबरें हैं।
उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर डिवीजनों में 20 से अधिक स्थानों को अवरुद्ध किया जा रहा है। इससे करीब 25 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। इस बीच, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध का समाधान बातचीत से ही हो सकता है, अदालतों में नहीं।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले 10 महीने से जारी प्रदर्शन ‘रोटी’ को बाजार की वस्तु बनने और कृषि क्षेत्र के निजीकरण के प्रयास को रोकने के लिए है। टिकैत ने कहा, मुझे नहीं पता कि इस विरोध का अंत क्या होने वाला है लेकिन आंदोलन शुरू हो गया है और खेती से जुड़े मुद्दों पर अक्सर चर्चा से दूर रहने वाले देश के युवा भी इसमें शामिल हो रहे हैं।’’ कई गैर-एनडीए दलों ने बंद को समर्थन दिया। इनमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वाम दल और स्वराज इंडिया शामिल थे। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने भी भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा की थी।
लॉकडाउन के बाद फिर से खुलने वाले शैक्षणिक संस्थान भी भारत बंद के मद्देनजर नहीं खुले। बाजार बंद थे, लेकिन दवा दुकानों और दूध की दुकानों सहित आवश्यक वस्तुओं की बिक्री करने वाली दुकानें इससे अछूती रहीं। कई ट्रेड यूनियन और बैंक कर्मचारी संघ भी 12 घंटे के बंद का समर्थन कर रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और कहा कि किसानों का अहिंसक सत्याग्रह अखंड है। गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण करने वाली सरकार को ये नहीं पसंद है, इसलिए आज भारत बंद है। कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं, राज्य इकाई प्रमुखों और अग्रिम संगठनों के प्रमुखों को 'भारत बंद' में हिस्सा लेने को कहा है। कई राजनीतिक दलों ने 10 घंटे के बंद का समर्थन किया है। राजस्थान में, किसानों के 'भारत बंद' का असर कृषि बहुल गंगानगर और हनुमानगढ़ सहित अनेक जिलों में दिखा जहां प्रमुख मंडियां तथा बाजार बंद रहे। किसानों ने प्रमुख मार्गों पर चक्काजाम किया और सभाएं की।
तीन किसानों की मौत
केंद्र सरकार के तीन नये कृषि क़ानूनों के विरोध में भारत बंद के दौरान सोमवार को तीन किसानों की मौत हो गई है। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा कि बंद के दौरान तीन किसानों की मौत हो गई है। उन्होंने कहा कि जिन किसानों की मौत हुई है, उनके बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है।
दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर एक किसान की हृदय गति रुकने से मौत हो गई है। पुलिस ने हालांकि कहा है कि किसान की मौत के असली कारण का पता पोस्टमॉर्टम के बाद ही पता लगेगा।
भारत बंद का मिलाजुला असर
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